Jaipur Crime: जेल डॉक्टर 18 दिन बाद भी जयपुर पुलिस की गिरफ्त से दूर, जानें, कहीं ये कारण तो नहीं
जयपुर की लालकोठी थाना पुलिस डेढ़ किलोमीटर दूर जेल अस्पताल से बंदियों को मौज-मस्ती के लिए रेफर करने वाले डॉक्टर को 18 दिन बाद भी पकड़ नहीं सकी। पुलिस मामले की जड़ तक पहुंचे तो कई जेल कर्मचारी भी सलाखों के पीछे जा सकते हैं।
Rajasthan: अपराधी कहीं भी छिपा हो, पुलिस चाहे तो उसे ढूंढ़ सकती है। देशभर में चर्चित इंदौर के राजा रघुवंशी की हत्या के मामले में मेघालय पुलिस ने 21 सौ किलोमीटर दूर से हत्यारों को ढूंढ़ निकाला। राजा के गायब होने के 17वें दिन पुलिस ने उत्तर प्रदेश व मध्यप्रदेश से आरोपी पत्नी सोनम व उसके प्रेमी और सुपारी किलर को ढूंढ़ निकाला। वहीं जयपुर की लालकोठी थाना पुलिस डेढ़ किलोमीटर दूर जेल अस्पताल से बंदियों को मौज-मस्ती के लिए रेफर करने वाले डॉक्टर को 18 दिन बाद भी पकड़ नहीं सकी। पुलिस मामले की जड़ तक पहुंचे तो कई जेल कर्मचारी भी सलाखों के पीछे जा सकते हैं।
जेल में मोबाइल मिलने, मादक पदार्थ पहुंचने आदि मामले कई बार सामने आ चुके हैं, लेकिन हर बार पुलिस ने बंदियों या फिर इक्के-दुक्के कर्मचारियों को गिरफ्तार कर इतिश्री कर ली। जेल का डॉक्टर, कर्मचारी व चालानी गार्डों से मिलीभगत कर बंदी मौज-मस्ती कर रहे थे। पुलिस ने जेल के तीन डॉक्टर एम.बी. चंदेल, दिनेश पिलानिया व कैलाश को पूछताछ के लिए बुलाया था। इनमें डॉ. चंदेल व डॉ. दिनेश ही अनुसंधान अधिकारी के समक्ष उपस्थित हुए। जबकि बंदियों को रेफर करने वाले डॉ. कैलाश उपस्थित नहीं हुए।
इन्हें किया जा चुका गिरफ्तार
लालकोठी थाना पुलिस ने मामले में चालानी गार्ड हैड कांस्टेबल सुरेश कुमार मीणा, कांस्टेबल मनोज कुमार जाट, दिनेश यादव, अमित यादव व विकास जाट को गिरफ्तार किया था। विकास की चालानी गार्ड में ड्यूटी नहीं लगी थी, लेकिन बिचौलिए की भूमिका निभाने के लिए वह जेल पहुंच गया और वहां हस्ताक्षर भी किए। इसके अलावा बंदी रफीक, भंवरलाल यादव, अंकित बंसल व करण गुप्ता और आनंदीलाल को गिरफ्तार किया गया। साथ ही गिरफ्तार 10 अन्य आरोपियों में बंदियों के परिजन व सहयोग करने वाले भी हैं।
इन सवालों के जवाब का भी इंतजार
सूत्रों के मुताबिक बंदियों को बीमार नहीं होने के बावजूद रेफर करना और मौज-मस्ती कराने के मामले में उनके परिजन या उनकी गैंग से मोटी रकम वसूली जाती है। बंदियों से ली जाने वाली रकम चेन सिस्टम के जरिए बंटती थी। हालांकि पुलिस यह भी पता नहीं कर पाई कि रकम किन-किन लोगों में बंटती थी। मामले में कौन जेलकर्मी शामिल हैं। चालानी गार्ड की ड्यूटी नहीं होने के बावजूद कांस्टेबल विकास से रजिस्टर में हस्ताक्षर क्यों करवाए।
जेल अस्पताल से केंद्रीय कारागार के बंदियों को एसएमएस अस्पताल रेफर किया जाता, लेकिन ये बंदी अस्पताल की बजाय होटलों में पत्नी, प्रेमिका के साथ मौज-मस्ती करने पहुंच जाते। कुछ बंदी फरार होने की फिराक में भी थे। पुलिस कमिश्नर को इसकी सूचना 24 मई को मिली तो उन्होंने दबिश दिलाकर पुलिसकर्मी, बंदी व उनके परिजन को रंगे हाथ पकड़ा।
इनका कहना है..
जेल व हॉस्पिटल से काफी दस्तावेज बरामद किए हैं, जिनकी तस्दीक की जा रही है। कई दस्तावेज की जांच की गई, लेकिन आरोपियों ने दस्तावेज में कमी नहीं छोड़ रखी। बंदियों को रेफर करने वाले चिकित्सक को तलाश रहे हैं। अब तक पांच पुलिसकर्मियों सहित 20 लोग गिरफ्तार किए गए हैं। इनमें पांच बंदी भी शामिल हैं। -बन्नालाल, थानाधिकारी लालकोठी थाना