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Jaipur Literature Festival 2025 : कला आज भी दोयम दर्जे की मानी जाती है…फेस्टिवल में कैलाश खेर ने और क्या कहा, जानें

Jaipur Literature Festival 2025 : जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल अपने पूरे शबाब पर है। कैलाश खेर अपनी किताब ‘तेरी दीवानी…शब्दों के पार’ की रिलीज के सिलसिले में फेस्टिवल में आए। जब उनसे सवाल पूछे गए तो उनका दर्द एक-एक कर बाहर आ गया। जानें उन्होंने क्या क्या कहा?

जयपुरFeb 01, 2025 / 09:03 am

Sanjay Kumar Srivastava

Jaipur Literature Festival 2025 Art is Still Considered Second Class What else did Kailash Kher say at JLF know

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में सिंगर कैलाश खेर

शालिनी अग्रवाल
यह दुखद है कि हमारे देश में आज भी कला को साइंस, मैथ्स, फिजिक्स, कैमेस्ट्री से दोयम दर्जे का माना जाता है। कलाकार तब तक अपनी कला छिपाता है, जब तक वह नाम न कमा ले। यहां कला इश्क की तरह है, जो छिपकर करना पड़ता है लेकिन जैसे इश्क इबादत है, वैसे ही कला है। सिंगर कैलाश खेर शुक्रवार को जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में अपनी किताब ‘तेरी दीवानी…शब्दों के पार’ की रिलीज के सिलसिले में आए तो उनके भीतर कहीं छिपा दुख बाहर आ गया। उन्होंने यह भी कहा कि आज जितने भी म्यूजिक चैनल है, वे फिल्मी म्यूजिक चैनल हैं। इसी तरह से ज्यादातर म्यूजिक रियलिटी शो भी फिल्मी म्यूजिक रियलिटी शो हैं। ये शो म्यूजिक की 2 फीसदी भेलपुरी बना कर बेच रहे हैं।

बाकी संसार, एक तरफ दिल्ली एक तरफ

सिंगर कैलाश खेर ने कहा कि किसी कारणवश जब उन्होंने घर छोड़ा तो दिल्ली आ गए। दिल्ली वालों की खासियत होती है कि वे किसी बात के लिए मना नहीं करते। दिल्ली में कुछ भी असंभव नहीं है। आप बोलिए जहाज खरीदना है, जवाब मिलेगा…मिल जाएगा।

शर्म आती है गायिकी देखकर

कैलाश खेर ने बताया कि उनके पिता पंडित थे। वह कथा, यज्ञ करते थे और कभी-कभी सत्संग में जाते थे। उनका यह शौक, पैशन बन गया था। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि आज तो पैशन को ही शौक बना लिया है। आपने बहुत से गायकों को यह कहते सुना होगा कि मैं शौकिया गाता हूं। रील्स पर उनके मिलियन्स फोलोअर्स होते हैं लेकिन उनकी गायिकी देखकर शर्म आती है कि ये भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं। पिता को देख कर उन्हें गाने से ज्यादा अध्यात्म की सूक्तियां पसंद आने लगीं और जब जड़ें गहरी होती हैं तो वृक्ष कल्पवृक्ष बन जाता है।
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ट्रक भी चलाया है

सिंगर कैलाश खेर ने बताया कि एक बार वे लाइसेंस बनवाने वाले एजेंट के पास गए। एजेंट ने पूछा कि प्राइवेट चाहिए या कमर्शियल तो उन्हें कमर्शियल शब्द अच्छा लगा तो वही बनवा लिया। दोस्तों ने कहा कि अब तुम ट्रक भी चला सकते हो, तो वह घबरा कर लाइसेंस बदलवाने पहुंचे। तो पता चला कि इसके 250 रुपए लगेंगे। इतने पैसे थे नहीं, तो फिर उन्होंने ट्रक ही चला लिया। इसके बाद लैटर प्रिंटिंग प्रेस, अखबार में भी काम किया।
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दस वर्ष पहले बोया बीज अब हुआ अंकुरित

कैलाश खेर की ‘तेरी दीवानी… शब्दों के पार’ की रूपरेखा 10 साल पहले ही बन गई थी। उन्होंने बताया कि बहुत सारे लोग उनसे उनके हर गाने की लिखावट के पीछे छिपी कहानी को जानना चाहते थे। इसलिए उन्होंने इस किताब को लिखा। समय नहीं मिला लेकिन 10 वर्ष पहले बोया बीज अब अंकुरित हुआ है।
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शुरुआत जिंगल से, फिर बनाया बैंड

कैलाश खेर ने बताया कि उन्हें सबसे पहले एक जिंगल गाने को मिला, लेकिन उन्हें पता नहीं था जिंगल क्या होता है। उन्होंने कहा कि आजकल जो कुछ नहीं जानते, वे आइ नो…यू नो का इस्तेमाल बड़ा करते हैं। उन्होंने भी ऐसा ही किया। पहले जिंगल के बाद उन्हें लगातार सफलता मिलती गई और पहला गाना उन्होंने ‘अल्लाह के बंदे’ गाया और इसके बाद जो लोग यह कहते थे कि आपकी आवाज हीरो टाइप नहीं है, वे कहने लगे कि आपकी आवाज डिफरेंट है। उन्होंने कहा कि लोगों के फैन होते हैं, लेकिन मेरी फैमिली है। अब मैं कम इसलिए गाता हूं क्योंकि कम में दम होता है।
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हमें देखना है कि तू जालिम कितना है

कैलाश खेर ने कहा कि उन्होंने जिंदगी में इतने रिजेक्शन झेले हैं कि वे अगली किताब ‘प्रॉडीजी ऑफ फेलियर’ लिखने वाले हैं। यह एक तरह से उनकी बायोग्राफी होगी। उन्हें न केवल दिल्ली में बल्कि मुंबई में भी ढेरों रिजेक्शन मिले। उन्होंने हंसते हुए कहा कि एमबीए टाइप लोग कहते थे कि तुहारी आवाज हीरो टाइप नहीं है।
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उन्होंने कहा कि ये एमबीए टाइप लोग बड़े कन्यूज होते हैं और जो इनमें ज्यादा अच्छे कन्यूज होते हैं, वे सीईओ हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि अगर यहां कोई सीईओ है तो इसे दिल पर जरूर ले।
Jaipur Literature Festival 2025 in Kailash Kher
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में सिंगर कैलाश खेर

भारत का नाम खराब न करें

मीडिया से बात करते हुए खेर ने कहा कि दूसरे देश हमारे देश को लूट-लूट कर विकसित बन गए लेकिन आज भारत को पूरी दुनिया मान रही है। कई देश चाहते हैं कि भारत आकर उन्हें बचा ले। ऐसे में कुछ लोगों को अपने तुच्छ स्वार्थ के चक्कर में भारत की छवि नहीं बिगाड़नी चाहिए।

आज तक नहीं मिले पैसे

कैलाश ने बताया कि पहली बार जब जिंगल गाया तो उन्हें इनवॉइस भेजने के लिए कहा गया। उन्हें यही पता था कि जब हम कुछ बेचते हैं तो उसकी इनवॉइस होती है, उन्हें लगा कि वे भी बिक गए हैं। उन्होंने 5000 रुपए की इनवॉइस बना कर भेजी, जो कि आज तक नहीं मिले।
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अपने रंग में रंग लिया

सेशन के आखिर में कैलाश ने सैंया…, जय-जय कारा…तेरी दीवानी जैसे गाने गानों को सुना कर ऑडियंस को झूमने पर मजबूर कर दिया।

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