दरअसल, विभाग की ओर से विभिन्न योजनाओं के तहत जरूरतमंद अल्पसंख्यकों को बिजनेस और शिक्षा के लिए लोन दिया जाता है, लेकिन अधिकांश लोग समय पर किश्तें नहीं चुकाते। जानकारी के मुताबिक जयपुर में 36 सौ लोगों पर करीब 17 करोड़ रुपए की राशि बकाया चल रही है। यह वसूली विभाग के लिए सिर दर्द साबित हो रही है। ऐसे में पैराटीचर्स अब संबंधित लाभार्थियों के घर जाकर उन्हें लोन चुकाने के लिए प्रेरित करेंगे। इसके लिए नोटिस तैयार करने समेत अन्य कार्यों के लिए अलग-अलग टीमें बनाई जा रही हैं। हालांकि कुछ लोग इस पहल का विरोध भी कर रहे हैं।
अलग से मानदेय की मांग
शिक्षकों को लोन वसूली से जुड़े कार्य में लगाना ठीक नहीं है। आरएमएफडीसीसी और मदरसा बोर्ड का आपस में कोई लेना-देना भी नहीं है। यदि विभाग को पैराटीचर्स की मदद की जरूरत है तो अल्पसंख्यक विभाग सरकारी शिक्षकों की तर्ज पर अलग से इसका मानदेय भी दे। अमीन कायमखानी, प्रदेशाध्यक्ष, राजस्थान उर्दू शिक्षक संघ
इनका कहना है
ऋणियों को राहत देते हुए एकमुश्त समाधान योजना लागू की गई है। जो लोन 31 मार्च 2024 तक ओवरड्यू हो गए हैं। उन्हें 30 सितंबर 2025 तक सभी बकाया, अतिदेय मूलधन एकमुश्त जमा करवाने पर साधारण एवं दंडनीय ब्याज पर शत-प्रतिशत छूट दी जाएगी। इस कार्य में उच्च अधिकारियों के निर्देश पर पैराटीचर्स से मदद ले रहे हैं। अभिषेक सिद्ध, जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी