इस आदेश की आलोचना करते हुए राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने भाजपा सरकार पर हमला बोला है। गहलोत ने कहा ऐसा लगता है कि राजस्थान की भाजपा सरकार आर्थिक रूप से दिवालिया होने की ओर बढ़ रही है। उन्होंने इस फैसले को तत्काल वापस लेने की मांग की है।
अशोक गहलोत ने क्या कहा?
राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि भाजपा सरकार के चिकित्सा विभाग ने एक आदेश जारी कर भामाशाहों द्वारा अस्पतालों में दान दी जाने वाली एबुंलेंस, जांच मशीनों, उपकरणों के साथ ही इन्हें चलाने के लिए 5 वर्ष का डीजल, ड्राइवर तथा ऑपरेटर की सैलरी भी दानदाता से ही लेने का आदेश निकाला है। अशोक गहलोत ने कहा कि ऐसा लगता है राजस्थान की भाजपा सरकार दिवालिया होने की तरफ आगे बढ़ रही है, इसलिए भामाशाहों द्वारा चिकित्सा व्यवस्थाओं को बेहतर करने के लिए दान दी जाने वाली जरूरी वस्तुओं के लिए अजीबोगरीब शर्तें लगा रही है। दानदाता हमेशा अस्पतालों से पूछकर ही उनकी जरूरत का सामान देते हैं। इससे अस्पतालों एवं मरीजों दोनों को लाभ मिलता है।
उन्होंने कहा कि यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करे। यदि इसमें कोई दानदाता सहयोग करता है तो सरल से सरल प्रक्रिया से उनका सहयोग लेकर उसे सरकारी व्यवस्था में शामिल किया जाए। यह आदेश तो दानदाताओं को हतोत्साहित करने वाला है।
गहलोत ने कहा कि एक तरह सरकार राइजिंग राजस्थान में 35 लाख करोड़ के MOU कर निवेशकर्ता/उद्यमी को तमाम छूट देकर यहां निवेश करवाने का दावा कर रही है और दूसरी तरफ दान में आने वाले सामान को भी इस्तेमाल करने में अक्षम है। जब सरकार दान में आ रहे सामान को इस्तेमाल करने की क्षमता नहीं रख पा रही तो वह निवेशकर्ताओं को छूट देने की क्षमता कहां से लाएगी?
क्या है स्वास्थ्य विभाग का नया आदेश?
स्वास्थ्य विभाग ने हाल ही में एक नया आदेश जारी किया है, जिसके तहत निजी व्यक्तियों, संस्थानों और गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) को सरकारी अस्पतालों व स्वास्थ्य केंद्रों में दान देते समय कुछ विशेष शर्तों का पालन करना होगा। इस आदेश के अनुसार, दान में दी गई वस्तुओं, जैसे चिकित्सा उपकरणों, फर्नीचर या अन्य सामग्री, का रखरखाव दानदाता को अगले पांच वर्षों तक स्वयं करना होगा। इस शर्त के तहत दानदाताओं को न केवल वस्तुओं की आपूर्ति, बल्कि उनके रखरखाव और मरम्मत का खर्च भी वहन करना होगा। इस आदेश के बाद कई गैर-सरकारी संगठनों और दानदाताओं में नाराजगी पैदा हो गई है। ये संगठन इसे अव्यवहारिक और बोझिल मान रहे हैं।