इसके बाद चालान जमाकर 22 गोदाम जाना पड़ रहा है। यहां उन्हें 10 से 15 दिन बाद आने के लिए कहा जा रहा है। 22 गोदाम के पास जहां रिकॉर्ड रखा गया है, वहां साल 2003 के बाद की रजिस्ट्री का रिकॉर्ड रखा गया है। वहीं, जलेबी चोक के पास रखा रिकॉर्ड उससे पहले का है। एक जगह रिकॉर्ड नहीं होने से लोगों को परेशानी हो रही है।
कलक्ट्रेट में ही एकल विंडो पर रजिस्ट्री की नकल उपलब्ध हो जाए तो लोगों को परेशानी नहीं होगी। इसके अलावा अगर रिकॉर्ड रूम 22 गोदाम की जगह कलक्ट्रेट के आस-पास हो तो लोगों को लंबा चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा।
मैन पावर नहीं, भटक रहे लोग
22 गोदाम के पास स्थित रिकॉर्ड रूम में स्टाफ की कमी है। यहां साफ-सफाई की व्यवस्था नहीं है। रिकॉर्ड को चूहे कुतरते मिल जाएंगे। इसके अलावा यहां सांप भी निकल रहे हैं। इससे स्टाफ रिकॉर्ड तलाशने में डरता है। इस गोदाम का किराया करीब 6 लाख रुपए महीना है। इतने पैसों में तो कलक्ट्रेट में नई बिल्डिंग बन जाती।
यह सुविधाएं नहीं जिससे आ रही दिक्कतें
कर्मचारियों की कमी जन सुविधाएं, पीने का पानी, शौचालय नहीं फोटो स्टेट की मशीन नहीं रिकॉर्ड रखने की सुविधा नहीं कलक्ट्रेट से दूरी 3 से 4 किमी है, आने-जाने में सार्वजनिक साधन का अभाव नकल के लिए लोगों को दिक्कतें हो रही हैं। पंजीयन विभाग की ओर से सुविधा नहीं दी जा रही। लोगों के जरूरी काम अटक रहे हैं। वकीलों की ओर से भी विभाग को कई बार अवगत कराया गया है। कलक्ट्रेट में ही एकल विंडो पर सुविधा दी जानी चाहिए।
अखिलेश जोशी एडवोकेट, पूर्व महासचिव, डिस्ट्रिक्ट बार जयपुर