मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनेगी निगरानी समिति
इस नीति के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग के महिला अधिकारिता विभाग को नोडल अधिकारी बनाया गया है। वहीं राज्य स्तर पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में समिति गठित की जाएगी, जो हर 6 माह में सैनेटरी नैपकिन के निस्तारण व प्रबंधन की निगरानी करेगी। इसके अलावा नगर निगम, नगर निकाय, शहरी विकास व आवास विभाग, राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पंचायती राज विभाग व स्वच्छ भारत मिशन आदि की भी भूमिका होगी।
रीयूजेबल उत्पादों का उपयोग बढ़ाएं
सैनेटरी नैपकिन के अपशिष्ट के सुरक्षित व प्रभावी प्रबंधन पर भी फोकस किया गया है। इसके लिए सैनेटरी नैपकिन के कचरे का संग्रहण को शामिल किया गया है। वहीं रीयूजेबल उत्पादों का उपयोग बढ़ाने को प्राथमिकता दी जाएगी। इसमें मेन्स्ट्रुअल कप के अलावा पुन: उपयोग किए जाने वाले कपड़े के डायपर आदि के उपयोग को लेकर जागरूक किया जाएगा। राज्यस्तरीय नीति के अनुसार सैनेटरी नैपकिन का ऑफसाइट और ऑनसाइट दोनों तरह से निस्तारण होगा। ऑफसाइट निस्तारण के लिए बायोमेडिकल इंसिनरेटर, रीसाइक्लिंग टेक्नोलॉजी व वेस्ट टू एनर्जी जैसी तकनीक का उपयोग होगा। वहीं दूर-दराज क्षेत्रों में जहां कनेक्टीविटी अच्छी नहीं है या कोई अन्य समाधान नहीं है। वहां ऑनसाइट निस्तारण के लिए डीप बरियल पिट्स (गहरे गड्ढे) का उपयोग किया जाएगा।