Rajasthan: मूल्यांकन अधिकारी भर्ती: तीन जांच में खुलासा, फर्जीवाड़ा करने वाले को ही बचा रहा विभाग
राजस्थान में सरकारी नौकरियों में फर्जीवाड़े के मामले थम नहीं रहे हैं। कुछ मामलों में सरकारी विभागों के अधिकारी ही फर्जीवाड़ा करने वालों को बचा रहे हैं।
राजस्थान में पिछले पिछले 5 साल में हुई सरकारी नौकरियों में भर्तियों की जांच में फर्जी प्रमाण पत्रों के मामले सामने आ रहे हैं। जांच में विभागों की मिलीभगत भी देखने को मिल रही है। ऐसा ही एक मामला मूल्यांकन विभाग का सामने आया है, जहां विभाग के बड़े अधिकारी ने ही एक अभ्यर्थी पर कृपा बरसाते हुए उसे फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र जारी कर दिया। इस प्रमाण पत्र के जरिये अभ्यर्थी ने नौकरी हासिल कर ली। शिकायत पर जब उच्च अधिकारियों ने जांच कराई तो एक के बाद एक तीन जांच कमेटियों ने अभ्यर्थी के अनुभव प्रमाण पत्र पर सवाल खड़े किए हैं।
इतना ही नहीं विभाग की ओर से बीते पांच साल मेें हुई भर्तियों के प्रमाण पत्रों की जांच में भी फर्जीवाड़ा पाया गया। इसके बाद भी अभ्यर्थी पर कार्रवाई करनेे के बाद आयोजना विभाग मामले को दबाकर बैठा है। मामले में विभाग में आरटीआइ लगाई गई। इसमें विभाग ने खुद स्वीकार किया कि सुमन गुप्ता को 4200 ग्रेड पे पर एक वर्ष कार्य अनुभव नहीं है। उसके पास 35 दिन का कार्य अनुभव है। कुछ समय के लिए उसे अतिरिक्त चार्ज दिया गया था।
यह है मामला
प्रकरण के अनुसार आरपीएससी की ओर से मूल्यांकन अधिकारी भर्ती 2019-20 आयोजित की थी। इसमें योग्यता अर्थशास्त्र में मास्टर डिग्री और सांख्यिकी/अनुसंधान सहायक पद 4200 ग्रेड पे पर एक वर्ष का अनुभव मांगा था। विभाग के तत्कालीन डायरेक्टर ने 2800 ग्रेड पे पर कार्यरत सुमन गुप्ता को 4200 ग्रेड पे पर एक वर्ष कार्य अनुभव का प्रमाण पत्र दे दिया। इसके जरिये अभ्यर्थी का चयन पद के लिए हो गया।
इनका कहना है…
तीन विभागों के अधिकारियों ने जांच की थी। समिति का अध्यक्ष नियुक्ति किया गया। हमने तथ्यात्मक रिपोर्ट संबंधित विभाग को भेज दी है। -सुण्डाराम मीणा, अध्यक्ष जांच समिति एवं अतिरिक्त निदेशक सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग