साइबर ठग अब खुद को पुलिस, कोर्ट या वित्तीय एजेंसी का अधिकारी बताकर लोगों को धमकाते हैं कि उनके खिलाफ “डिजिटल अरेस्ट वारंट” जारी किया गया है। फिर डर का माहौल बनाकर उनसे बैंकिंग डिटेल, OTP या UPI के ज़रिए पैसे ट्रांसफर करवाते हैं।
RBI ने साफ किया है कि “डिजिटल अरेस्ट” जैसी कोई वैध प्रक्रिया नहीं होती। यह शब्द केवल लोगों को भ्रमित करने और डराने के लिए उपयोग किया जाता है। ऐसे में किसी अनजान नंबर से आए कॉल पर घबराएं नहीं, न ही कोई जानकारी साझा करें। अगर आपके पास ऐसा कोई कॉल या मैसेज आता है, तो तुरंत उसे https://cybercrime.gov.in पर रिपोर्ट करें या 1930 पर कॉल करके मदद लें।
RBI की 90वीं वर्षगांठ के अवसर पर जारी इस अलर्ट में कहा गया है – “जानकारी ही सुरक्षा है। सतर्क रहें, सुरक्षित रहें।”
साइबर ठगों की तकनीकें दिन-ब-दिन उन्नत हो रही हैं। इसलिए ज़रूरी है कि हर नागरिक डिजिटल रूप से जागरूक हो और किसी भी प्रकार के भय या लालच में आकर अपने बैंकिंग विवरण साझा न करे।