धमाकों के लिए वाहनों का इस्तेमाल तो नया नहीं है। भारत ही नहीं दुनियाभर में आतंकी दहशत फैलाने के लिए इस हथियार का इस्तेमाल करते रहे हैं, लेकिन अब ड्रोन के रूप में आतंकियों को नया हथियार मिल गया है। पंंजाब से लगती सरहद पर मादक पदार्थों की तस्करी के लिए इसका इस्तेमाल खूब हो रहा है। सीमा सुरक्षा बल की चौकसी के बावजूद इस तरह की गतिविधियां कम नहीं हो रहीं। हालत यह है कि पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने भी पाकिस्तान सीमा पार से ड्रोन के जरिए नशीले पदार्थों की तस्करी में हो रही बढ़ोतरी पर चिंता जताई है। अदालत ने कहा कि इसका राज्य की सुरक्षा और विकास पर गंभीर प्रभाव पड़ता है और इसके खिलाफ कड़े कानूनी कदम उठाने की आवश्यकता है।
साफ है कि ड्रोन न केवल सीमा बल्कि आंतरिक सुरक्षा के लिए भी खतरा बनते जा रहे हैं। सरकार इस खतरे से वाकिफ है। यही वजह है कि ड्रोन के उपयोग को विनियमित करने के लिए ड्रोन नियम, 2021 बनाए गए हैं। इन नियमों में ड्रोन के संचालन के लिए शर्तों, निषिद्ध क्षेत्र और उल्लंघन पर दंड का प्रावधान शामिल है। सरकार हवाई अड्डों और अन्य महत्त्वपूर्ण प्रतिष्ठानों पर ड्रोन-रोधी तकनीक स्थापित कर रही है। ड्रोन का पता लगाने, उन्हें ट्रैक करने और उन्हें निष्क्रिय करने की तकनीक पर ध्यान दिया जा रहा है। इसके बावजूद अब भी ड्रोन के खतरे से निपटने के लिए कई और कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। ड्रोन के सुरक्षित और जिम्मेदारी से उपयोग के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए सरकार को अभियान चलाना चाहिए। साथ ही ड्रोन का पता लगाने और उन्हें निष्क्रिय करने के लिए ड्रोन-रोधी तकनीक को अधिक प्रभावी बनाने की आवश्यकता है।
ड्रोन-रोधी तकनीक का विकास चुनौतीपूर्ण कार्य है। ड्रोन विभिन्न आकार और क्षमताओं के होते हैं, जिससे उन्हें एक ही प्रणाली से टे्रस करने और बेअसर करने में भी मुश्किल आती है। ड्रोन तकनीक लगातार विकसित हो रही है, जिससे ड्रोन-रोधी प्रणालियों को उनके साथ बने रहने के लिए निरंतर शोध की आवश्यकता होती है। प्रभावी ड्रोन रोधी प्रणालियां विकसित करने के लिए पर्याप्त बजट का प्रावधान किया जाना चाहिए। आतंकी हमलों की आशंका को ध्यान में रखते हुए ड्रोन नियमों को सख्ती से लागू करने की आवश्यकता है। इसका उल्लंघन करने पर आवश्यक कार्रवाई की जानी चाहिए। इस खतरे से निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर काम करना होगा।