मजदूर की बेटी ने पाया प्रदेश में दूसरा स्थान

भरतपुर के पहाड़ी की एक गरीब मजदूर की बेटी चंचल मेहरा ने 99.83 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हैं। चंचल ने 600 में से 599 अंक व 99.83 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हैं। उनके पिता मजदूर है और मां गृहणी हैं। चंचल ने बताया कि आज तक मोबाइल नहीं देखा है। अगर आवश्यकता पड़ती तो सिर्फ बात ही करती। सोशल मीडिया के बारे में सिर्फ सुना है, लेकिन कोई आइडी नहीं है।
20 किमी रोज गांव से स्कूल पहुंचता था हर्षराज

डूंगरपुर जिले के रिंछा निवासी हर्षराजसिंह चौहान नियमित अपने गांव से 20 किमी दूर पिण्डावल आता और कड़ी मेहनत के बूते 98.50 फीसदी बनाकर जिले का गौरव बढ़ाया है। हर्षराजसिंह ने बताया कि वह न्यू आदर्श पब्लिक सीनियर सेकण्डरी स्कूल पिण्डावल, साबला में अध्ययनरत है। चौहान के पिता प्रवीण सिंह मोबाइल की दुकान चलाते हैं। जिसमें हर्ष कभी—कभी भी उनका हाथ बंटाता है। वह नियमित तीन घंटे नियमित अध्ययन करता था। हर्षराज भारतीय सेना में अधिकारी बनकर देश की सेवा करना चाहते हैं।
सब्जी की दुकान पर पढ़े पुलकित के 94.33 फीसदी अंक

सीकर के धोद की महात्मा गांधी स्कूल के पुलकित ने 94.33 प्रतिशत अंक हासिल कर क्षेत्र का नाम रोशन किया है। प्रधानाचार्य मीनाक्षी भामू ने बताया कि पुलकित के पिता किशनलाल ऑटो रिक्शा चालक है। पुलकित ने खुद सब्जी की दुकान लगा रखी है। जहां बीच में समय मिलने पर वह पढ़ाई करते-करते उसने यह मुकाम हासिल किया।
चिड़ावा में सब्जी विक्रेता की बेटी के 99 फीसदी अंक

चिड़ावा के सब्जी विक्रेता नरेंद्र कुमार सैनी की बेटी ने परीक्षा में 99 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं। छात्रा प्रियांशी सैनी ने बताया कि रोज चार-पांच घंटे अध्ययन कर सफलता हासिल की। उन्होंने घर की आर्थिक चुनौतियों के बावजूद शानदार परिणाम दिया। प्रियांशी आयकर अधिकारी बनना चाहती हैं।
ऑपरेशन सिन्दूर से लौटे सैनिक को बेटी ने दिया तोहफा

सीकर के नवजीवन साइंस स्कूल की छात्रा वर्षा ने 99.17 फीसदी अंक हासिल किए है। वर्षा ने बताया कि पापा मनोज सेना में कार्यरत है। एक दिन पहले ही पापा ऑपरेशन सिन्दूर के बाद घर पहुंचे है। यहां आते ही दसवीं का परिणाम भी आ गया। वह भविष्य में पायलट बनना चाहती है।
सोशल मीडिया से दूरी बना रचा इतिहास

सीकर के केवीएम की छात्रा वंदना तंवर ने 99.50 प्रतिशत अंक हासिल कर शिक्षानगरी का मान बढ़ाया है। होनहार ने 600 में से 597 अंक हासिल किए है। वंदना के पिता संदीप सिंह भूगोल विषय के सरकारी व्याख्याता हैं और माता इंदु चौहान एक गृहिणी हैं। वंदना बताती हैं कि उन्होंने प्रतिदिन नियमित रूप से 6 से 7 घंटे अध्ययन किया और सोशल मीडिया से दूरी बनाकर केवल अपने लक्ष्य पर केंद्रित रहीं। वंदना का सपना चिकित्सक बनना है।