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सवाई माधोपुर

मां की भूमिका पर ही टिका है परिवार और समाज का निर्माण, ‘स्त्री देह से आगे’ विषय विवेचन कार्यक्रम में बोले गुलाब कोठारी

राजस्थान पत्रिका के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी ने कहा कि स्त्री जीव के शरीर निर्माण के समय कई तरह के अन्न का त्याग कर संयम पूर्वक जीने का तप करती है। मां कभी अभावग्रस्त नहीं होती है। मां की इस ताकत को समझना होगा।

सवाई माधोपुरJun 02, 2025 / 08:51 am

Anil Prajapat

Gulab Kothari

प्रधान संपादक गुलाब कोठारी।

सवाईमाधोपुर। राजस्थान पत्रिका के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी ने शहर के रणथंभौर रोड स्थित सेंचुरी रिसॉर्ट में आयोजित स्त्री देह से आगे विषय का विवेचन करते हुए कहा कि समाज अच्छा व्यवहार नहीं कर रहा है तो उसका कारण हमारे भीतर भी है। समाज का निर्माण मां करती है। बच्चों का जैसा निर्माण होगा, वैसा समाज बनेगा। स्त्री से महत्वपूर्ण समाज में कोई नहीं है। स्त्री देह दिव्य और देवत्व प्रधान है, जो समाज व सृष्टि की नींव है। इसलिए भारतीय ग्रंथ स्त्री को देवी कहते हैं और पूजा होती है।

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कोठारी ने कहा कि स्त्री जीव के शरीर निर्माण के समय कई तरह के अन्न का त्याग कर संयम पूर्वक जीने का तप करती है। मां कभी अभावग्रस्त नहीं होती है। मां की इस ताकत को समझना होगा। मां की भूमिका पर ही परिवार और समाज टिका हुआ है,क्यों कि यह जीना सिखाती है और इंसान बनाती है। वह पेड़ है जिस पर फल लगता है। वो अपने लिए कभी नहीं जीती। इसलिए जब हम जमीन में गढेंग़े तभी पेड़ बनेंगे। वहीं कार्यक्रम के आखिर में जयपुर रीजनल प्रभारी महेश कुमार जैन ने आभार व्यक्त किया।
देखें पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी का संबोधन

चिंतन करने की जरूरत

उन्होंने कहा कि लड़कियों में बड़ा परिवर्तन पढ़ाई से हुआ है। मातृत्व के भाव की ताकत कमजोर हो गई। पुरुष के बराबर खड़ा होने का प्रयास करने लगी हैं। स्त्री बनना बंद कर दिया। शादी की उम्र भी बढ़ गई है। इससे सारी तकलीफें उनकी जिंदगी में बढ़ी है। बच्चे पैदा होने में दिक्कत होने लगी है। कई पढ़ी-लिखी महिलाएं शादी करने को तैयार नहीं है और लिव-इन में रहने को तैयार हैं। बच्चे पैदा करने को तैयार नहीं है। इन सब बातों में चिंतन करने की जरूरत है। अपनी भूमिका से चिंतन शुरू करना पड़ेगा। पढ़े-लिखे पुरुष में मिठास नहीं है, क्योंकि बुद्धि में मिठास नहीं होती। बुद्धि के साथ विकास किया जा सकता है, लेकिन ममता और मिठास जिंदगी में नहीं आएगा। वहां केवल आक्रमकता रहेगी। मिठास शीतलता पैदा करती है, जो स्त्री का गुण है।

लड़के में भी ममता, दया का गुण जरूरी

कोठारी ने कहा कि आज की शिक्षा में मन की इच्छाओं, कामनाओं व आत्मा की चर्चा नहीं है, जबकि जीवन मन से चलता है। नई शिक्षा कहती है लडक़ा-लडक़ी में भेद नहीं है। जबकि लडक़े-लड़कियों के मुकाबले बहुत कम समझदार है। जीवन की बारीकियां लडक़ों में नहीं है। लडक़े में भी ममता, दया के साथ संवेदना आदि के गुण होने चाहिए। यह मां को समझाना चाहिए। यह नहीं बताने से हमारा समाज संतुलित नहीं है। आज की लडक़ी-लडक़ा बनना चाह रही है। इससे बेहतर समाज निर्माण नहीं होगा।

55 हजार लोगों ने कार्यक्रम को लाइव देखा

देश-दुनिया के 55 हजार लोगों ने पत्रिका के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी के उद्बोधन को लाइव भी देखा व सुना। सवाईमाधोपुर के अलावा दौसा, टोंक, करौली जिले में भी लोग भी कार्यक्रम से जुड़े।

इन संगठनों की रही सहभागिता

कार्यक्रम में गृहिणियों, अधिकारी, कर्मचारी व विभिन्न संगठनों से जुड़ी महिलाएं शामिल रही। कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय मंत्री जसकौर मीणा, पूर्व प्रधान आशा मीणा, राजस्थान ब्राह्मण महासभा प्रदेशाध्यक्ष मंजू शर्मा, विप्र फाउंडेशन जिलाध्यक्ष आशा शर्मा, व्रिप फाउंडेशन जोन 1 डी महिला प्रकोष्ठ जिलाध्यक्ष कनकलता सीठा, कोषाध्यक्ष अनीता शर्मा, सकल दिगबर जैन समाज महामंत्री प्रियंका संघी, महिला महासमिति अध्यक्ष ममता बाकलीवाल, जैन महिला मण्डल अध्यक्ष रेखा जैन, अग्रवाल महिला मंडल जिला महामंत्री सुनीता अग्रवाल, अग्रवाल महिला मंडल हाउसिंग बोर्ड अध्यक्ष इंदिरा गुप्ता, अग्रवाल महिला मंडल बजरिया की अध्यक्ष रानी गर्ग, बंबोरी महिला मंडल अध्यक्ष निशा गौतम, राजपूत समाज की महिलाएं, गौतम महिला मण्डल, सौरभ टीटी कॉलेज, राधाकृष्णन कॉलेज, अखिल राज्य कर्मचारी महिला एवं बाल विकास कर्मचारी संघ से जुड़ी महिलाएं, राजीविका, मानवसेवा प्रकृति प्रेमी ग्रुप, विश्व हिन्दू परिषद मातृशक्ति की विभाग संयोजिका दीपिका सिंह चौहान, भारत विकास परिषद की महिला संयोजिका मीना उपाध्याय, गीता जैलिया, एमपी कॉलोनी से महिला ग्रुप की संयोजक मालती कुलश्रेष्ठ सहित मेडिकल एवं नर्सिंग कॉलेज छात्राएं, बबोरी महिला मण्डल ग्रुप, रणथभौर नर्सिंग कॉलेज, गिल्ड वल्फ संस्था, आरएसएस जिला कार्यवाह कीर्ति सुवालका मौजूद रहीं।

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