आरजीएचएस योजना का सालाना बजट 4 हजार करोड़ से अधिक
दवा बाजार से की गई पड़ताल में सामने आया कि यह डिस्काउंट राज्य सरकार अपने स्तर पर तय करती है। इनमें कई जेनरिक दवाइयां ऐसी हैं, जिन पर 40 प्रतिशत डिस्काउंट होना चाहिए। लेकिन पोर्टल पर 12 प्रतिशत ही बताया गया है। ये दवाइयां हर साल करोड़ों रुपए से ज्यादा की बिक जाती है। ऐसे में 28 प्रतिशत के हिसाब से सरकार को करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा है। गौरतलब है कि आरजीएचएस योजना का सालाना बजट 600-700 करोड़ से बढ़कर 4 हजार करोड़ से अधिक पहुंच चुका है। इनमें 50 प्रतिशत करीब 2 हजार करोड़ रुपए दवाइयों का खर्चा है।दवाओं पर कई गुना एमआरपी
इन दवाइयों पर भारी डिस्काउंट का कारण निर्माता की ओर से इन पर कई गुना एमआरपी लिखा जाना है। इन दवाओं का मार्जिन तय नहीं है। आरजीएचएस योजना के तहत राज्य सरकार सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स को कैशलेस उपचार की सुविधा देती है। दवा दुकान से दवा लेने वाले मरीज के पैसों का भुगतान सरकार की ओर से संबंधित विक्रेता को किया जाता है। इसके बदले सरकार उससे डिस्काउंट लेती है।राजस्थान के लाखों लोगों की रुक सकती है पेंशन, सीएम कार्यालय को भेजा गया है प्रस्ताव, जानें क्यों
पोर्टल पर दवाओं पर डिस्काउंट…यों खुली परतें
1- उदाहरण के तौर पर टॉपैक एसपी दवा का बिल आरजीएचएस पोर्टल पर सलेक्ट करते ही इस पर मिलने वाला डिस्काउंट 40 फीसद शो करता है। यदि 100 रुपये एमआरपी की दवा का बिल बनाते हैं तो 40 फीसद का डिस्काउंट काट कर बन जाता है।गर्मी में जनता को परेशान होना पड़ा, तो खैर नहीं, सीएम भजनलाल ने अफसरों को चेताया
मामले में सीएस गंभीर
आरजीएचएस में सामने आई गड़बड़ियों को गंभीरता से लेते हुए मुख्य सचिव सुधांश पंत ने पिछले दिनों बैठक ली। जिसमें राजस्थान पत्रिका में हाल ही में प्रकाशित हुए समाचारों के आधार पर उजागर की गई गड़बड़ियों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि योजना में सामने आ रही गड़बड़ियों में दर्ज करवाई जा रही एफआइआर और जांच नतीजों की उन्हें हर 15 दिन में रिपोर्ट दी जाए। गौरतलब है कि राजस्थान पत्रिका सबसे पहले 30 मार्च के बाद लगातार आरजीएचएस के घोटालों को उजागर कर रहा है।Indian Railways : सीकर से अयोध्या, गुवाहाटी व काचीगुड़ा का सफर होगा आसान, रेलवे चलाएगा दो स्पेशल ट्रेन
कई बिंदुओं पर काम कर रही हैं हमारी टीम
हमारी टीम कई बिंदुओं पर काम कर रही हैं। हमारा काम इनकी पहचान कर ठीक करने की दिशा में काम करना है। पोर्टल को भी दिखवा रहे हैं।नवीन जैन, शासन सचिव, वित्त विभाग