scriptRPSC को 30 साल से मिल रहा ‘पार्ट टाइम’ अध्यक्ष, सरकारें एडजस्टमेंट के आधार पर कर रही नियुक्ति; जानें क्यों? | RPSC has been getting part time chairman for 30 years governments are making appointments on basis of adjustment | Patrika News
जयपुर

RPSC को 30 साल से मिल रहा ‘पार्ट टाइम’ अध्यक्ष, सरकारें एडजस्टमेंट के आधार पर कर रही नियुक्ति; जानें क्यों?

पुलिस महानिदेशक रहे उत्कल रंजन साहू को पिछले दिनों आरपीएससी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था और आरपीएससी के नियमों के मुताबिक उनका कार्यकाल अगले साल 19 जून, 2026 को खत्म हो जाएगा।

जयपुरJul 07, 2025 / 12:55 pm

Lokendra Sainger

RPSC NEWS

Photo- Patrika Network

अरविन्द सिंह शक्तावत

राजस्थान में 2023 में सरकार बनने से पहले भारतीय जनता पार्टी ने पेपरलीक की घटनाओं को रोकने के लिए कई वादे किए थे। इनमें से एक वादा राजस्थान लोक सेवा आयोग ( आरपीएससी) के पुनर्गठन का भी था। ऐसे में यह उम्मीद लगाई जा रही थी कि तीन दशक से आरपीएससी का अध्यक्ष जो पार्ट टाइम (उपकृत करने के लिए) लगाया जा रहा था, उसे अब फुल टाइम (छह साल के लिए नियुक्ति) लगाया जाएगा। लेकिन, ऐसा इस बार भी नहीं हुआ।
पुलिस महानिदेशक रहे उत्कल रंजन साहू को पिछले दिनों आरपीएससी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था और आरपीएससी के नियमों के मुताबिक उनका कार्यकाल अगले साल 19 जून, 2026 को खत्म हो जाएगा। यानी वे करीब एक साल ही अध्यक्ष रह पाएंगे। यूपीएससी के पूर्व अध्यक्षों का कहना है कि इसी तरह से कम समय के लिए नियुक्तियां होती रही तो आरपीएससी का पुनर्गठन होना मुश्किल है। सुधार करना है तो यूपीएससी सहित अन्य राज्यों के लोक सेवा आयोगों की तरह फुल टाइम कमीशन बनाना होगा।

दो समितियां बनी, दोनों ने अध्यक्ष कम उम्र वाले को लगाने की सिफारिश की

आरपीएससी के पुनर्गठन के लिए अलग-अलग दो कमेटियां कांग्रेस सरकारों के समय बनी थी। इसकी रिपोर्ट भी सरकार के पास ही है। इन समितियों के मुख्य हिस्सा रहे आरपीएससी के पूर्व अध्यक्ष एम एल कुमावत ने बताया कि हमने देश के कई राज्यों में जाकर वहां के लोक सेवा आयोगों का अध्ययन किया। इसके बाद सिफारिशें सरकार को भेजी।
इसमें एक परीक्षा नियंत्रक लगाने की सिफारिश की गई थी। उसे तो मान लिया गया। अध्यक्ष की नियुक्ति के कार्यकाल की भी सिफारिश की थी। अध्यक्ष को काम करने के लिए पूरा समय मिलना ही चाहिए। केरल इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। वहां बीस साल से एक भी पेपरलीक नहीं हुआ। छोटे से राज्य के इस आयोग में बीस सदस्यों का कमीशन है।
जबकि हमारे यहां मात्र आठ सदस्यों का कमीशन है। केरल में 40-45 साल के बीच की उम्र के व्यक्ति को ही आयोग का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया जाता है। एक अध्यक्ष ने तो केरल में दो कार्यकाल यानी पूरे बारह साल तक काम किया। जब किसी को लम्बे समय तक काम करने का अवसर देते हैं, तो परिणाम अच्छे आते हैं।

तीन दशक से ढर्रा ज्यादा बिगड़ा

आरपीएससी में अध्यक्ष पद पर नियुक्ति की बात की जाए तो तीन दशक से ज्यादा ढर्रा बिगड़ा हुआ है। 1995 से लेकर अब तक ऐसा कोई अध्यक्ष नहीं बना, जिसका कार्यकाल चार साल से ज्यादा का रहा हो। एकाध को छोड़ दें तो ज्यादातर का कार्यकाल तो दो साल में ही पूरा हो गया। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है कि सरकारें ऐसे अधिकारी को अध्यक्ष पद पर नियुक्ति करती आ रही हैं, जो सेवानिवृति के आसपास यानी 60 साल का होने वाला हो और उसे कहीं एडजस्ट किया जा सके।

1995 से नियुक्त अध्यक्ष व कार्यकाल

हनुमान प्रसाद- 2 वर्ष

पी एस यादव- 26 दिन

देवेन्द्र सिंह- 3 साल 1 माह

एन के बैरवा- 3 साल 1 माह

गोविन्द सिंह टॉक- 2 साल
सी आर चौधरी- करीब साढ़े 3 साल

एम एल कुमावत- करीब 16 माह

बी एम शर्मा- 13 माह

हबीब खान गौरान- 2 साल 1 माह

ललित के पंवार- 1 साल 11 माह
श्याम सुंदर शर्मा- 2 माह 17 दिन

राधे श्याम गर्ग- 5 माह

दीपक उप्रेती- 2 साल 3 माह

भूपेन्द्र सिंह- 1 साल 2 माह

संजय क्षोत्रिय- करीब ढाई साल

यू आर साहू- 12 जून, 2025 को नियुक्ति

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