संवत् 2082 का ये है मंत्री मंडल
राजा व मंत्री : सूर्य, सस्येश : बुध, धान्येश : चन्द्र, मेघेश : सूर्य, रसेश : शुक्र, नीरसेश : बुध, फलेश : शनि, धनेश : मंगल, दुर्गेश : शनिसंवत् का फल
प्रजा ज्ञान, वैराग्य से युक्त होती है। संपूर्ण पृथ्वी पर प्रसन्नता रहती है। जल-अन्न की वृद्धि होती है। प्रतिकूल जलवायु के बाद भी धान्यादि का उत्पादन होगा।उत्पादन पर पड़ेगा असर
सूर्य के राजा संवत का राजा होने से अल्पवृष्टि होने से धान्य-फल-दुग्ध का उत्पादन कम होने के आसार है। जनता को पीड़ा, चोर-अग्नि की बाधा व शासकों को कष्ट होगा। दुधारू पशुओं की क्षमता कम होगी। धान्य, गन्ना आदि फसलों, वृक्षों पर फल-पुष्पादि का उत्पादन कम होगा। जनता में क्रोध, उत्तेजना, कलह व नेत्र विकार बढेंगे।महंगाई बढेगी
सूर्य के मंत्री होने से जनता में रोग, चोर व राज का भय बढ़ेगा। अन्न का प्रचुर उत्पादन, गम्भीर रोगों से जनता त्रस्त होगी। पेयजल, गुड़, दूध, तेल, ईख, फल, सब्जियों, चीनी इत्यादि रसयुक्त वस्तुओं की कमी से इनके भाव बढ़ेंगे। जनता मंहगाई से त्रस्त होगी।चुनौती पूर्ण रहेगा नववर्ष
ज्योतिषाचार्य डॉ. रवि शास्त्री के अनुसार चैत्र कृष्ण अमावस्या, 29 मार्च, शनिवार को गणितानुसार शाम 04 बजकर 28 मिनट पर नववर्ष का प्रवेश होगा, लेकिन यह 30 मार्च को सूर्योदय व्यापिनी तिथि के दिन से प्रारम्भ होगा। नववर्ष का शुभारंभ राजस्थान सहित समस्त भारत में (पूर्वोत्तर भारत के कुछ भागों को छोड़कर) सिंह लग्न में होगा। वर्षलग्न का स्वामी सूर्य अष्टम भाव में पंचग्रही योग में सम्मिलित होने से आने वाला वर्ष राजनीतिक दलों के लिए परस्पर संघर्षपूर्ण, व्यक्तिगत आकांक्षा और अनेक नेताओं की छवि को धूमिल करने वाला होगा। चोरों, तस्करों, लुटेरों से जनता त्रस्त होगी। बम-विस्फोट, भीषण रेल दुर्घटना, समुद्री तूफान एवं बाढ़ से जन-धन की हानि होगी। भारत के दक्षिणी हिस्सों में अतिवृष्टि होने से खड़ी फसलों की हानि, पश्चिमी भागों में स्वर्ण आदि धातुओं के भावों में तेजी आएगी। उत्तर भाग में अतिवृष्टि से हानि व दुर्घटनाएं होगी।अच्छी वर्षा के योग
ज्योतिषाचार्य पं. सुरेश शास्त्री के मुताबिक इस वर्ष में श्रेष्ठ वर्षा के योग बनेंगे। जून-जुलाई में गुरु ग्रह का अस्त व उदय भी इसमें सहायक होगा। मंगल-शनि का षडाष्टक योग तथा मंगल राहु के सम-सप्तक योग के साथ 13 जुलाई से साढ़े चार महीने तक शनि का वक्रत्व काल कहीं अतिवृष्टि तो कहीं अनावृष्टि, तूफान, भूस्खलपन, बाढ़, भूकंप आदि प्राकृतिक प्रकोप करेगा। शीतकाल में शुक्र का अस्त व उदय तथा धनु व मकर राशि में चतुर्ग्रही योग बनने से ओलावृष्टि, तूफान से हानि होगी।