न्यायाधीश सूर्यकांत व न्यायाधीश एन कोटिश्वर सिंह की खंडपीठ ने आशापुरा विकास समिति और अन्य की अपीलों को निस्तारित करते हुए यह आदेश दिया। इस मामले में पूर्व राजपरिवार के सदस्य पद्मिनी देवी, दिया कुमारी व पद्मनाभ भी पक्षकार हैं।
करीब तीन दशक से मामला हाईकोर्ट में
आशापुरा विकास समिति ने भूमि पर हक जताते हुए 1994 में याचिका दायर की। इसमें भूमि को समिति के पक्ष में नियमित करनेे की मांग की गई। समिति ने आशापुरा स्कीम का प्लान तैयार कर लिया, वहीं मई 1975 में पूर्व राजपरिवार के सदस्य ब्रिगेडियर भवानी सिंह (अब दिवंगत) और आनंद भवन गृह निर्माण सहकारी समिति के बीच भूमि के विक्रय का एग्रीमेंट हो गया। हाईकोर्ट में ऐसे चला विवाद
हाईकोर्ट की एकलपीठ ने भूमि को अवाप्ति से मुक्त मानते हुए समिति को मालिकाना हक देने का निर्णय किया। इसे राज्य सरकार, भूमि की देखरेख के लिए नियुक्त रिसीवर, जयपुर विकास प्राधिकरण और दिवंगत राजा मानसिंह के उत्तराधिकारी कर्नल भवानी सिंह ने चुनौती दी।
इसमें कहा कि आशापुरा विकास समिति को भूमि का वैध हस्तांतरण नहीं हुआ, ऐसे में उसे हक मिलने पर अन्य पक्षकार प्रभावित होंगे। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने मार्च 2018 में मार्च 2002 का एकलपीठ का आदेश निरस्त कर मामला पुन: एकलपीठ को लौटा दिया। आशापुरा विकास समिति ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।