पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने 2022-23 के बजट में दिल्ली िस्थत उदयपुर हाउस में यूथ हॉस्टल बनाए जाने की घोषणा की थी। अल्प आय वर्ग के प्रतिभावान युवाओं को कोचिंग, कॅरियर काउंसलिंग के लिए इस हॉस्टल में रहने की योजना बनाई गई थी। इसके लिए 300 करोड़ रुपए का प्रावधान किया था। इस राशि से यहां 250 कमरे बनाए जाने थे। योजना थी कि यहां एक समय में 500 प्रतिभावान युवक-युवतियों को रखा जा सके।
एक पत्र ने रोक दी सारी प्रक्रिया प्रमुख आवासीय आयुक्त आलोक ने पिछले दिनों सामान्य प्रशासन विभाग को एक पत्र लिखा था। इस पत्र में कहा कि दिल्ली एमसीडी ने उदयपुर हाउस को रेजिडेंशियल प्लॉट माना है। ऐसे में यहां सिर्फ ग्रुप हाउसिंग और प्लॉटेड हाउसिंग की ही अनुमति दी जा सकती है। हॉस्टल, गेस्ट हाउस, धर्मशाला की अनुमति नहीं दी जा सकती। इसलिए उदयपुर हाउस में यूथ हॉस्टल की घोषणा को रद्द कर दिया जाए।
छह साल पहले ही मिला था उदयपुर हाउस का हक दिल्ली के सिविल लाइंस स्थित 12 हजार वर्गमीटर में फैला उदयपुर हाउस आजादी के बाद राजस्थान सरकार के हिस्से में आ गया था। दिल्ली सरकार से इसके कब्जे को लेकर विवाद भी चला। राजस्थान सरकार ने उदयपुर हाउस को दिल्ली सरकार को किराए पर दिया था। दिल्ली सरकार ने 1965 के बाद किराया देना बंद कर दिया। करीब छह वर्ष पहले सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर दोनों सरकारों में आपसी सहमति हुई और यह संपत्ति फिर से राजस्थान सरकार को सौंप दी गई। वर्तमान में इसकी कीमत 2 हजार करोड़ रुपए से भी अधिक आंकी जा रही है।