स्थानीय लोग बोले: रोज़ की जंग बन गई है पानी
डेलासर की रमीला देवी बताती है हर दिन तीन-चार घंटे पानी भरने में लगते हैं। सुबह का खाना भी समय पर नहीं बनता। बच्चों की पढ़ाई छूट जाती है। रामगढ़ क्षेत्र निवासी भूराराम विश्नोई कहते हैं हमारे गांव में दो हफ्ते से टैंकर नहीं आया। एक कुएं में थोड़ा पानी बचा है, उस पर पूरा गांव निर्भर है। झगड़े की नौबत आ जाती है। नहरी क्षेत्र की मंगली देवी कहती हैं— लाइन तो है, लेकिन पानी नहीं आता। हर बार शिकायत करते हैं, लेकिन कोई स्थायी समाधान नहीं मिल रहा।
हकीकत: समाधान अधूरे
जिम्मेदारों की ओर से सीमित संसाधनों में आपूर्ति की जा रही है, लेकिन गर्मी बढऩे से संकट और गहरा गया है। ग्रामीणों की मांग है कि इंदिरा गांधी नहर परियोजना से जुड़ी पाइपलाइन हर गांव तक पहुंचाई जाए और पुराने तालाबों, टांकों का पुनरोद्धार किया जाए।
स्थायी जल नीति की दरकार
जानकारों के मुताबिक जैसलमेर को टूरिज्म के नाम पर पहचान मिली है, लेकिन यहां के मूल निवासी आज भी पानी जैसी मूलभूत आवश्यकता के लिए संघर्षरत हैं। यह समस्या केवल गर्मी की नहीं, बल्कि नीति और नियत की भी है।