धार्मिक नगरी, लेकिन सफाई और पेयजल का संकट
रामदेवरा की सफाई व्यवस्था बदहाल है। सीवरेज की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण होटलों और धर्मशालाओं का गंदा पानी सडक़ों पर बहता है, जिससे श्रद्धालुओं को असुविधा होती है। बरसात के दिनों में यह समस्या और भीबढ़ हो जाती है। वहीं, गर्मी के मौसम में पेयजल संकट गहरा जाता है। होटलों और धर्मशालाओं को पानी के लिए निजी टैंकरों पर निर्भर रहना पड़ता है। सरकारी नलों और टैंकरों से जो पानी मिलता है, वह केवल दैनिक उपयोग तक सीमित होता है, पीने के लिए आरओ का पानी खरीदना श्रद्धालुओं की मजबूरी बन जाता है।
परिवहन और ठहरने की सुविधा नदारद
रामदेवरा में दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं को सबसे ज्यादा परेशानी यातायात और ठहरने की उचित व्यवस्था के अभाव में होती है। यहां राजकीय रोडवेज बस सेवा उपलब्ध नहीं है, जिससे श्रद्धालुओं को निजी वाहनों पर निर्भर रहना पड़ता है।अस्थायी बस स्टैंडों पर छाया, पानी और शौचालय जैसी सुविधाओं का अभाव है, जिससे यात्री बेहाल नजर आते हैं। अधिकतर श्रद्धालु दर्शन के बाद तुरंत वापस लौटने के लिए मजबूर होते हैं, क्योंकि ठहरने के लिए उचित स्थान नहीं मिल पाता।
स्थानीय व्यापार भी प्रभावित
रामदेवरा का व्यवसाय पूरी तरह से श्रद्धालुओं की आमद पर निर्भर करता है। जब यात्रियों की संख्या कम होती है, तो व्यापारियों पर मंदी की मार साफ झलकती है। इसके अलावा, अग्निशमन वाहन की व्यवस्था न होने से आगजनी की घटनाओं में लाखों का नुकसान झेलना पड़ता है।
हकीकत यह भी
रामदेवरा में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पैनोरमा, रूणिचा कुआं, पंच पीपली, पोकरण दुर्ग और भैरव गुफा जैसे ऐतिहासिक और दर्शनीय स्थलों का उचित विकास नहीं किया गया है। उचित साइनबोर्ड, पर्यटक सूचना केंद्र और आवश्यक बुनियादी ढांचे की कमी के कारण इन स्थलों की जानकारी श्रद्धालुओं को नहीं मिल पाती।