आस्था से बढ़ा सहनशीलता का स्तर
विशेषज्ञ मानते हैं कि अब धार्मिक स्थल केवल आस्था का केंद्र ही नहीं रहे, बल्कि अब वे मानसिक और शारीरिक संतुलन के साधन भी बन गए हैं। गर्मी में चलना, चढ़ाई करना और भजन-कीर्तन में भाग लेना—ये सभी गतिविधियां शरीर को सक्रिय बनाती हैं और आंतरिक ऊर्जा को जागृत करती हैं।
थैरेपी विदाउट मेडिसिन
धार्मिक यात्रा में चलना, उपवास रखना, ध्यान करना और संगीत (भजन) सुनना शामिल होता है, जो कि शरीर के लिए मेडिटेटिव प्रोसेस है। यह गर्मी में चित्त की चंचलता को शांत करता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
नवयुवाओं में बढ़ती धार्मिक रुचि
रोचक बात यह भी सामने आ रही है कि अब युवाओं में भी धार्मिक यात्राओं के प्रति रुझान बढ़ा है। सोशल मीडिया पर तनोट यात्रा की स्टोरी, रामदेवरा में सेल्फी और पोखरण मंदिरों के कीर्तन के वीडियो वायरल हो रहे हैं। युवाओं के लिए यह ट्रेंड अब सिर्फ आध्यात्मिक नहीं, बल्कि एक स्वास्थ्यवर्धक ‘सोल ट्रिप’ भी बन चुका है