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जैसलमेर

सोनार दुर्ग की दीवारें जर्जर, परकोटे से गिर रहे पत्थर, बढ़ा खतरा

करीब 870 साल प्राचीन जैसलमेर के सोनार दुर्ग को देखने देश-दुनिया के सैलानी लाखों की तादाद में प्रतिवर्ष खींचे चले आते हैं।

जैसलमेरApr 17, 2025 / 08:35 pm

Deepak Vyas

jsm news
करीब 870 साल प्राचीन जैसलमेर के सोनार दुर्ग को देखने देश-दुनिया के सैलानी लाखों की तादाद में प्रतिवर्ष खींचे चले आते हैं। समय के साथ-साथ जिम्मेदारों की उदासीनता की मार झेलने वाले इस हजारों की आबादी वाले रिहायशी किले की प्राचीरों से पत्थरों के गिरने से लेकर दीवार का पूरा हिस्सा तक धराशायी होने की कई घटनाएं अब तक घटित हो चुकी हैं। गत वर्ष अगस्त माह की 7 तारीख को शिव मार्ग की तरफ जाने वाले मार्ग में किले के परकोटे की दीवार के पत्थर भरभरा कर गिरे थे। उसके बाद कई महीनों की लेटलतीफी के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की ओर से अब कहीं जाकर उस स्थान की मरम्मत और दीवार के पुनर्निर्माण व उससे थोड़ी दूरी पर शिव मार्ग पर ऐसा ही काम करवाया जा रहा है। इस देरी के कारण संबंधित क्षेत्रों में करीब आधा रास्ता विभाग की ओर से लगाए गए स्टील के बेरिकेड्स की वजह से रुका हुआ है। काम की जो गति है, उसे देखते हुए अभी तक कई महीनों का समय और लगने की संभावना है। बाहरी दीवारों के अलावा दुर्ग के भीतरी भाग में प्रोलों की दशा भी कोई बहुत सुदृढ़ नहीं है। जगह-जगह से किले की प्राचीरों के पत्थर अपनी जगह छोड़ते हुए नजर आते हैं।

कई जगहों पर दीवार की दुर्दशा

एएसआइ की तरफ से पिछले वर्ष शिव मार्ग क्षेत्र में सोनार दुर्ग के परकोटे की एक जर्जर दीवार के हिस्से का पुनर्निर्माण करवाकर उसे मजबूत किया गया। बाद में बरसाती सीजन में उसी से थोड़ा आगे ऊपरी हिस्से में बुर्ज से सटे परकोटे की दीवार का एक हिस्सा गिर गया। अब भी परकोटे का करीब 200 मीटर का हिस्सा पुराना और कई जगहों से जर्जर होने के बाद चिंता का सबब बना हुआ है। उसमें कहीं-कहीं पर बड़े पत्थर अपनी जगह छोडकऱ बाहर आते प्रतीत होते हैं। तेज बारिश के दौरान मिट्टी का कटाव हुआ तो पूर्व में हुए हादसों की पुनरावृत्ति से इनकार नहीं किया जा सकता। दुर्ग के ऊपरी भाग में कई ऐसे स्थान हैं, जिनके पुनरुद्धार की आवश्यकता है।स्थानीय निवासियों के अनुसार जिम्मेदारों की कार्यशैली इतनी धीमी है कि जब तक एक जगह का सुधार होता है, तब तक कहीं और से पत्थर गिरने की घटना घटित हो जाती है।

पूर्व में हो चुके हैं हादसे

  • सोनार दुर्ग के परकोटे की दीवारें दरकने और उनके ध्वस्त होने की कई घटनाएं अब तक सामने आई हैं। इनमें सबसे भयावह घटना 1997 में हुई थी।
  • उस समय गोपा चौक में आई परकोटे की दीवार एकदम से धराशायी हो गई थी और दीवार में चुने हुए भारी-भारी पत्थरों व मलबे में दब कर 6 जनों की जान गई थी। बाद में इस क्षेत्र की दीवार को पुन: बनाया गया।
  • ऐसी ही एक घटना बरसाती सीजन में गोपा चौक से सटी दीवार का एक हिस्सा ध्वस्त होने से हुआ। संयोगवश वह हादसा तडक़े हुआ, तब उसके नीचे कोई नहीं था। बाद में साल 2016 में भी गोपा चौक पुलिस चौकी के सामने किले की दीवार के पुनर्निर्माण के समय हुआ।
  • जैसलमेर के हृदय स्थल गोपा चौक से शिव मार्ग तक और सोनार दुर्ग के परकोटे दीवार के अन्य हिस्सों पर कई जगह दीवार क्षतिग्रस्त और वक्त के थपेड़ों से कमजोर हो चुकी है। तेज अंधड़, तूफान, अतिवृष्टि या फिर भूकम्प के झटके से दीवार ढहने की आशंका बनी रहती है।
  • कहीं-कहीं पर तो पत्थर इतने बाहर निकल चुके हंै कि वाहन चालक या राहगीर या फिर आसपास रहने वाले लोग व दुकानदारों की जिंदगी पर खतरा बना हुआ है। विगत दशकों में बारिश के बढ़ते दौर और भूकम्प के झटकों ने दुर्ग को कमजोर किया है। जल-मल की माकूल निकासी न होने से स्थिति और खराब हो गई है। दुर्ग के परकोटे की दीवार पर लगातार दबाव बढ़ रहा है।
    फैक्ट फाइल –
  • 870 वर्ष करीब पुराना है जैसलमेर दुर्ग
  • 400 से ज्यादा परिवार दुर्ग में निवासरत
  • 02 वार्ड में विभक्त ऐतिहासिक सोनार किला
    हादसे की रहती है आशंका
    दुर्ग से सटे शिव मार्ग स्थित दुकानदार चंद्रशेखर थानवी और दुर्ग निवासी गौतम कुमार के अनुसार दुर्ग की क्षतिग्रस्त दीवारों का काम शीघ्रता से करवाए जाने की आवश्यकता है। आगामी महीनों में बरसाती सीजन में दुर्ग के कई जर्जर हिस्सों के गिरने का खतरा अब भी बना हुआ है।

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