scriptजवाई बांध के पानी के लिए 25 दिन से हक की लड़ाई लड़ रहे हैं जालोर के किसान, घट रहा वाटर लेवल, डार्क जोन में जिला | Farmers of Jalore have been protesting for 25 days for the water of Jawai Dam | Patrika News
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जवाई बांध के पानी के लिए 25 दिन से हक की लड़ाई लड़ रहे हैं जालोर के किसान, घट रहा वाटर लेवल, डार्क जोन में जिला

जवाई बांध के निर्माण के बाद से लेकर अब तक जवाई नदी में प्रवाह नहीं होने से जालोर का भूजल स्तर लगातार गिरा है।

जालोरDec 13, 2024 / 12:10 pm

Rakesh Mishra

water of Jawai Dam
Jalore News: राजस्थान की भाजपा सरकार के कार्यकाल का एक वर्ष पूर्ण होने पर विभिन्न कार्यक्रम जश्न के रूप में मनाए जा रहे हैं। भाजपा जहां एक साल की उपलब्धियां गिनाने में व्यस्त है। वहीं धरातल पर हकीकत यह है कि जालोर में किसान 25 दिन से हक की लड़ाई लड़ रहे हैं और कलक्ट्रेट के समक्ष धरने पर हैं।
जवाई बांध के पानी पर हक निर्धारण और जवाई नदी प्रवाह क्षेत्र के आस पास सूख चुके कृषि कुओं को रिचार्ज करने के लिए प्रवाह क्षेत्र में पानी छोड़ने की मांग को लेकर किसानों ने यह मोर्चा खोला है। भारतीय किसान संघ के बैनर तले चल रहे इस महापड़ाव को विभिन्न संगठनों ने समर्थन दिया, लेकिन सरकार ने 25 दिन में कोई सकारात्मक पहल नहीं की है। दूसरी तरफ मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग का कहना है कि जवाई बांध आधारित नई योजनाओं की क्रियान्विति में जालोर का नाम जुड़ने से रह गया था, इस महत्वाकांक्षी कार्य के लिए सरकार का रुख सकारात्मक है। यह कार्य होगा। वहीं जवाई नदी पुनर्जीवित करने के लिए भी सरकार की मंशा साफ है।

50 साल में बिगड़े हालात

जवाई बांध के निर्माण के बाद से लेकर अब तक जवाई नदी में प्रवाह नहीं होने से जालोर का भूजल स्तर लगातार गिरा है। 200 किमी दायरे का जवाई प्रवाह क्षेत्र पूरी तरह से तबाह हो चुका है। कुएं सूख चुके और किसान पलायन कर रहे हैं। नदी में पानी का प्रवाह केवल अतिवृष्टि में जवाई बांध पूरी भराव क्षमता तक भरने के दौरान होता है। यह स्थिति एक दशक में एक या दो बार ही बनती है। किसान जवाई बांध से नदी प्रवाह क्षेत्र के लिए पानी की मात्रा निर्धारित करने की मांग के लिए धरना दे रहे हैं। बता दें जवाई बांध के निर्माण से पूर्व जवाई नदी नित्यवाहिनी थी और जालोर में जल संकट कभी नहीं गहराया था, लेकिन अब औसतन 1 से 2 मीटर पानी का लेवल हर साल घट रहा है और जिला डार्क जोन में है।

जल नीति में बदलाव जरुरी

आंदोलन के तहत जवाई बांध के पानी पर हक निर्धारण की मांग चल रही है, लेकिन इसमें सबसे बड़ी दिक्कत जलनीति 2010 है। राजस्थान की जलनीति 2010 के अनुसार पानी की पहली प्राथमिकता पेयजल, दूसरी पशुओं के लिए और उसके बाद खेती एवं ऊर्जा को देने का प्रावधान किया गया है। इसमें कहीं पर भी प्रवाह क्षेत्र में सूखे क्षेत्र को लाभान्वित करने का प्रावधान नहीं है।

राइपेरियन राइट में यह प्रावधान

2010 की नीति से पहले की बात करें तो पहले कृषि क्षेत्र के लिए पानी की उपलब्धता को प्राथमिकता दी गई थी। दूसरी तरफ राइपेरियन राइट यह अधिकार प्रवाह क्षेत्र के किसानों को देता है कि नेचुरल फ्लो में पानी पर उनका अधिकार है। जवाई नदी के प्रवाह क्षेत्र में स्थित तमाम कृषि कुएं इस राइट के अंतर्गत आते हैं, लेकिन कमजोर राजनीति ने किसानों के हितों पर कुंडली मारी। वहीं इस हक पर जलनीति 2010 ने पूरी तरह से नकेल कस दी। अब पहले स्तर पर 2010 की राज्य जलनीति में बदलाव के साथ नई नीति में प्रवाह क्षेत्र के लिए पानी रिजर्व का प्रावधान आवश्यक है। जो राजनीतिक इच्छा शक्ति के बिना संभव नहीं है।

झूठी वाहवाही लूटने का प्रयास

किसान सम्मेलन के नाम पर झूठी वाहवाही लूटने का प्रयास किया जा रहा है। किसान अपनी समस्याओं को लेकर 25 दिन से धरने पर है, लेकिन सरकार का कोई प्रतिनिधि किसानों की समस्या सुनने नहीं पहुंचा। अब एक साल पूर्ण होने के आयोजन में शरीक होने प्रभारी मंत्री पहुंच रहे हैं, जो पिछले 25 दिन में एक भी बार यहां नहीं आए।
  • रतनसिंह कानीवाड़ा, जिलाध्यक्ष, भारतीय किसान संघ

इनका कहना

सरकार किसानों के हित में काम कर रही है। जवाई से जुड़ी योजना से जालोर को भी लाभान्वित किया जाएगा। यह जवाई पुनर्भरण योजना से ही संभव है। बजट घोषणा के अनुसार यह महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट क्रियान्विति होगा। जवाई से जुड़ी नई योजना से जालोर को लाभान्वित करने और जवाई नदी को पुनर्जीवित करने की दिशा में हम सकारात्मक प्रयास कर रहे हैं।
  • जोगेश्वर गर्ग, मुख्य सचेतक, राजस्थान सरकार
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