झालरापाटन की लाइफ लाइन कहे जाने वाला गोमती सागर तालाब कूड़े कचरे से अटा पड़ा हुआ है। तालाब के अधिकांश भाग पर गंदगी फैली होने के साथ ही जगह-जगह वनस्पति उग रही है जिससे इसका पानी गंदा और दूषित हो रहा है। इस तालाब के पानी से गर्मी के मौसम में नगर में जलापूर्ति भी की जाती है।
रियासत कालीन यह तालाब काफी बड़े भूभाग पैर फैला हुआ है, लेकिन इसकी जमीन पर लगातार हो रहे कब्जो के कारण तालाब में बरसात के पानी की आवक लगभग बंद सी हो गई है और मिट्टी के भराव के कारण इसमें जल भराव पूरा नहीं हो पाता है और गर्मी का मौसम आते-आते यह तालाब सूखने लग जाता है। लोग तालाब में कूड़ा करकट, निर्माण सामग्री और अन्य गंदगी डाल रहे हैं।
तालाब के आसपास की जमीन पर कॉलोनियां विकसित हो गई है इसके साथ ही कई लोगों ने अवैध रूप से अतिक्रमण कर कच्चे पक्के मकान बना लिए हैं तो कई लोग इसकी जमीन पर खेती करने लगे हैं जिससे इसका भूभाग सिमटता जा रहा है। इसमें सिंघाड़े की अवैध रूप से खेती की जा रही है इसके साथ ही जगह-जगह वनस्पति की बेल फैल रही है।
खुलेआम मछलियों का शिकार
तालाब से खुलेआम मछलियों का शिकार किया जाता है। राज्य सरकार और जिला प्रशासन का इस तालाब के जिंदोद्धार के प्रति ध्यान नहीं है। तालाब के आसपास की खूबसूरती पर सरकार रकम खर्च कर रही है लेकिन तालाब की सफाई और गहराई की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है जिससे यह धीरे-धीरे अपना स्वरूप खोता जा रहा है।
पेयजल का मुख्य स्रोत
गर्मी के मौसम में जलदाय विभाग द्वारा कई बार इस तालाब से नगर में जलापूर्ति की जाती है इसके अलावा भी कई बार छापी परियोजना की लाइन क्षतिग्रस्त हो जाने पर भी इस तालाब से जलापूर्ति की जाती है।
धार्मिक महत्व
गोमती सागर तालाब का धार्मिक महत्व है। नगर में होने वाले धार्मिक और मांगलिक कार्यक्रमों के लिए इसी तालाब से कलश भरे जाते हैं। इसके साथ ही गणपति, दुर्गा माता की मूर्तियां तथा ताजियों का इसमें विसर्जन किया जाता है। गोमती सागर तालाब के जीर्णोद्धार के लिए कार्य योजना बनाकर राज्य सरकार को भेजी है। इसके लिए बजट आवंटन होने पर कार्य कराया जाएगा। वर्षा मनीष चांदवाड, अध्यक्ष नगर पालिका झालरापाटन