संभावना ये भी है
– सूत्रों ने बताया कि प्रदेश में 22 जनवरी को समिति की बैठक हो चुकी है। जिसे देखते हुए संभावना ये जताई जा रही है कि जिस तरह से पिछले दिनों हिन्दी माध्यम के शून्य नामांकन वाले स्कूलों को पास के स्कूल में मर्ज किया गया है, उसी तरह से अंग्रेजी माध्यम के जिन स्कूलों में शून्य नामांकन है उन्हे भी अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में मर्ज किया जा सकता है, या फिर से हिन्दी माध्यम किया जा सकता है।
इसलिए अटक गया पदस्थापन-
समिति के निर्णय का इंतजार प्रदेशभर में हो रहा है। ऐसे में इस उठापटक के चलते करीब 30 हजार शिक्षकों का पदस्थापन भी अटक गया है। कई शिक्षक पदस्थापन के चलते इधर-उधर चक्कर काट रहे हैं। प्रदेश में इतने स्कूल- पूरे प्रदेश में महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम के 3737 स्कूल है। जिनमें करीब 17500शिक्षकों के पद रिक्त बताए जा रहे हैं। वहीं मार्च में बोर्ड परीक्षाएं व अप्रेल में स्कूल स्तर पर होने वाली वार्षिक परीक्षाएं होने वाली है। लेकिन शिक्षकों के अभाव में विद्यार्थियों का कोर्स कब पूरा होगा। ये चिंता भी विद्यार्थियों को सता रही है। जिले में अंग्रेजी माध्यम के महात्मा गांधी स्कूल 26 है, जिनमें शिक्षकों की कमी के चलते प्रधानाचार्यों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इससे पहले संस्थाप्रधान को अपने स्तर से शिक्षक लगाने की पावर थी, लेकिन इस बार वो भी नहीं दी गई है।
जिले के कुछ महात्मा गंाधी स्कूल में शून्य नामांकन की एक बानगी
– महात्मा गांधी स्कूल पिड़ावा- सभी कक्षाओं में शून्य नामांकन – महात्मा गांधी स्कूल हेमडा- एलकेजी व यूकेजी व कक्षा 9 से 12वीं तक शून्य नामांकन -महात्मा गांधी स्कूल ठिकरिया- कक्षा 10 में शून्य नामांकन, कक्षा 11 व 12 में एक-एक छात्र – महात्मा गांधी स्कूल,लाल बाग झालरापाटन-नर्सरी यूकेजी व कक्षा 9 से 12वीं तक शून्य नामांकन -महात्मा गंाधी मोतीलाल नेहरू-नर्सरी, एलकेजी, यूकेजी व कक्षा 9 वीं व 12वीं तक शून्य नामांकन ये उच्च स्तर का मामला है
– महात्मा गांधी स्कूलों में परीक्षा के बाद शिक्षकों की काउंसिलिंग का मामला उच्च स्तर से अटका हुआ है। शून्य नामांकन के लिए उच्च स्तर पर एक समिति बनाई गई है, उसका निर्णय आने के बाद कुछ होगा। लेकिन महात्मा गांधी स्कूल मर्ज होंगे या नहीं ये राज्य सरकार के स्तर का मामला है।
रामसिंह मीणा, सीडीईओ, झालावाड़।