खानपुर विधायक सुरेश गुर्जर ने विधानसभा में वन एवं पर्यावरण तथा उद्योग की मांगों पर चर्चा के दौरान वन पर्यावरण और उद्योग से संबंधित क्षेत्र की समस्याएं बेबाकी से उठाई। क्षेत्र के लिए कई मांगों को सरकार के सामने रखा है। गुर्जर ने झालावाड जिले के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन करते हुए वन विभाग की लंबित स्वीकृतियों के संबध में बोलते हुए कहा कि वन पर्यटन को बढावा देने के लिए खानपुर के हरिगढ और पनवाड के 3 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में काले हिरण तथा चिंकारा की गणना कराके इनके संरक्षण के लिए रिजर्व अभयारण्य की घोषणा की जाए। साथ ही वन क्षेत्र में रह रहे आदिवासी समुदाय को वन अधिकार के तहत पट्टे दिए जाएं।
गुर्जर ने कहा कि वन संरक्षण के नाम पर खानपुर विधानसभा क्षेत्र के गागरोन से नोलाव, नोलाव से लक्ष्मीपुरा और महुआखेडा से कल्ला जी महाराज की सड़कों का काम स्वीकृति के अभाव में बरसों से अटका है। लक्ष्मीपुरा में तो पेयजल की टंकी आधी ही बन पाई है। उन्होंने कहा कि परवन वृहत सिंचाई परियोजना में वन विभाग की जो जमीनें डूब में आई थी। उनके बदले राजस्व की जमीनें दी गई है। उन जमीनों पर बरसों से काश्तकार काबीज है। उनको फसल कटने तक बेदखल नही करें।
पत्रिका ने उठाया था मामला
गौरतलब है कि राजस्थान पत्रिका ने 29 अक्टूबर 2024 के अंक में अपना हरिगढ़ वनक्षेत्र सोरसन से कम नहीं, यहां भी हैं बड़ी संख्या में कृष्ण मृग शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। प्रदेश के कृष्ण मृग तालछापर अभयारण्य चूरू, केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान भरतपुर तथा सोरसन कंजर्वेशन रिजर्व की तरह ही हरिगढ़ क्षेत्र को भी कंजर्वेशन रिजर्व के रूप में विकसित किया जाए तो झालावाड़ जिले में वन्यजीव संरक्षण और वन पर्यटन को पंख लग सकेंगे।
कोटा स्टोन उद्योग को संरक्षण की जरूरत
विधायक ने वानिकी महाविद्यालय झालरापाटन के छात्रों को वन अधिकारी व सहायक वन संरक्षक जैसे पदों पर वरीयता देने के प्रावधान करने की मांग की। उन्होंने खनन क्षेत्र आरोलिया, रूणजी, पिपलिया, नेहरावत, रूपपुरा, बीरियाखेडी आदि क्षेत्र में रीको द्वारा स्टोन आधारित औद्योगिक क्षेत्र विकसित किया जाने की जरूरत बताई। खनन क्षेत्र में पर्यावरणीय स्वीकृति लेने में आ रही परेशानियों पर सरकार का ध्यान आकर्षित करते हुए विधायक ने कहा कि कोटा स्टोन उद्योग को सरकार के संरक्षण की जरूरत है। इसके लिए 500 मीटर की परिधी में आने वाली माइंस को बी 2 केटेगरी की सीमा 5 हैक्टेयर से 25 हेक्टेयर किया जाए।