सेना के ट्रक में फूल मालाओं से सजे पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन करने के लिए अकतासा से असनावर, तलवाडिया, आनंदा आदि गांवों के ग्रामीण लोग पूरे सड़क मार्ग में फूल मालाएं लेकर खड़े रहे। लोगों ने सड़क किनारे खड़े होकर पार्थिव शरीर पर फूल बरसाकर श्रद्धांजलि दी। अंतिम यात्रा में डीजे पर देशभक्ति गीतों के साथ हाथो में तिरंगे झंडे लेकर भारत माता के जयकारों एवं जब तक सूरज चांद रहेगा पवन तेरा नाम रहेगा जैसे जोशीले नारो के साथ युवाओं का जोश देखते ही बन रहा था। अकतासा से लेकर खेरखेड़ा तक करीब 11 किमी की अंतिम यात्रा पहुंचने में ढाई घंटे का समय लगा। असनावर से लेकर खरखेड़ा तक अंतिम यात्रा में कई लोग पैदल ही शामिल हुए।
जैसे ही पवन का पार्थिव शरीर घर पहुंचा तो घर में कोहराम मच गया। तिरंगे झंडे में लिपटे पति के शव को देखकर पत्नी पूजा कुमारी कई बार बेसुध होती रही। परिजन उसको ढांढस बंधाते रहे। लेकिन पूजा के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। पूजा अपने दोनों बेटों को बाहों में भरकर बार-बार बेसुध होती रही।
एसडीएम को करनी पड़ी समझाइश
पवन प्रजापति का पार्थिव शरीर घर पहुंचने से पहले ही परिजन पवन को शहीद का दर्जा देने की मांग करने लगे। शहीद का दर्जा देने को लेकर परिजनों ने लिखित में आश्वासन नहीं देने तक अंतिम संस्कार नहीं करने की चेतावनी दे डाली। इस पर झालावाड़ उपखंड अधिकारी अभिषेक चारण ने पिता प्रेमचंद, भाई एवं जीजा को समझाइश करते हुए जवान की पत्नी व बच्चों को सेना से मिलने वाले सभी प्रकार के परिलाभ दिलवाने का आश्वासन दिया। एसडीएम की समझाइश के बाद परिजनों ने शहीद का दर्जा देने का ज्ञापन देकर अंतिम संस्कार के लिए राजी हो गए।
पत्नी बोली शहीद का दर्जा मिले
गहरे शोक में डूबी पवन की पत्नी पूजा कुमारी का कहना था की उसके पति ने देश की सेवा करते हुए अपने प्राण न्योछावर किए है। उसके पति को शहीद का दर्जा मिलना चाहिए।
ऐसे हुआ हादसा
सेना के नायब सूबेदार ज्योतिष कुमार जीपी के अनुसार आर्मी सप्लाई कोर यूनिट में तैनात पवन गुरुवार रात को सेना के सरकारी दस्तावेज हैड क्वार्टर में जमा करने के बाद वापस लोटते समय रेल यात्रा के दौरान सोहनपुर जिले के ओल्ड मिसामिरी रेलवे स्टेशन पर संतुलन बिगड़ने से ट्रेन से गिर गया था। जिससे पवन के सिर व हाथ पैर में गंभीर चोटें आई थी। सेना की यूनिट को सूचना मिलने पर पवन को घायल अवस्था में सोहनपुर जिले के गुरुबंदा सिविल हॉस्पिटल ले जाया गया। जहां चिकित्सकों ने जांच के बाद मृत घोषित कर दिया। पवन का सिविल हॉस्पिटल में पोस्टमार्टम हुआ था। जिसकी रिपोर्ट अभी नहीं आई है। नायब सूबेदार ज्योतिष कुमार के अनुसार पवन को शहीद का दर्जा देने की प्रक्रिया में करीब दो माह का समय लग सकता है।
सेना के अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों ने दी श्रद्धांजलि-
सेना के जवान नायक पवन प्रजापति की अंतिम यात्रा में सांसद दुष्यंत सिंह, खानपुर विधायक सुरेश गुर्जर, मनोहरथाना विधायक गोविंद रानीपुरिया, युवा कांग्रेस जिलाध्यक्ष गिरीराज मीणा, भाजपा जिलाध्यक्ष हर्षवर्धन शर्मा, पूर्व विधायक नरेन्द्र नागर, नेमीचंद मीणा, प्रधान भावना झाला, बड़ोदिया पंचायत के प्रशासक बालचंद पाटीदार एवं सेना के अधिकारियों ने पुष्प गुच्छ पार्थिव शरीर पर चढ़ाकर श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके अलावा मुक्तिधाम में पवन प्रजापति की मां रामसुखी बाई, पिता प्रेमचंद, बहिन सीमा, पत्नी पूजा कुमारी, चार साल के बेटे पार्थ, पांच महीने के बेटे मनीष, जीजा, सभी परिजनो, पवन के मित्रों एवं ग्रामीणों ने पुष्प अर्पित कर भावभीनी श्रद्धांजलि दी।
नेशनल हाईवे पर लगी वाहनों की कतारें-
कस्बे में पवन की अंतिम यात्रा मुरारी घाटी से नेशनल हाईवे 52 के बींचो बीच होते हुए पुलिस थाने तक गई। अंतिम यात्रा के काफिले को करीब डेढ़ किलोमीटर की दूरी को पार करने में करीब 50 मिनट लग गए। लोहे की जालियों के बीच होने से वाहनों की कतारें लग गई। हाईवे पर रेंग रेंगकर वाहन चलते रहे।
दोनों पुत्रों ने किया नमन –
सेना के जवान पवन प्रजापति उसके माता पिता का इकलौता पुत्र था। मुक्तिधाम में पवन के पार्थिव शरीर पर उसके 4 वर्षीय पुत्र पार्थ और 5 माह के पुत्र मनीष ने पुष्पांजलि अर्पित कर नमन किया।
हर किसी की आंखे हो गई नम:-
मुक्तिधाम में जैसे ही सेना के जवानों ने पवन के पार्थिव शरीर को गार्ड ऑफ ऑनर देकर तिरंगे को लपेटकर नायब सूबेदार ज्योतिष कुमार ने पत्नी पूजा को सौंपा तो हर किसी की आंखे नम हो गई। तिरंगे को हाथो में लेते ही पूजा की रुलाई फूट पड़ी।