राजस्थान के जोधपुर में माता का थान थानान्तर्गत युवती के आत्महत्या करने के मामले में 50 लाख रुपए आर्थिक सहायता, आरोपियों की तुरंत गिरतारी, थाने के पुलिसकर्मियों के निलंबन की मांग की गई। आखिर में दोनों आरोपी भाई व उनकी मां के खिलाफ आत्महत्या को दुष्प्रेरित व एससी-एसटी की एक और एफआइआर दर्ज होने पर सभी एकबारगी शांत हुए, लेकिन शनिवार को भी धरना जारी रहा।
उधर, आरोपी दोनों भाई व परिजन भूमिगत हो गए। पुलिस ने छापे मारे, लेकिन आरोपी पकड़ में नहीं आए। देर रात तक अलग-अलग टीमें संभावित ठिकानों पर तलाश में लगी हुई थी। थानाधिकारी भंवरसिंह जाखड़ ने बताया कि आरोपियों की तलाश के प्रयास किए जा रहे हैं।
लिखित शिकायत व एफआइआर में फेरबदल का आरोप
परिजन का आरोप है कि गत तीस अप्रेल को मारपीट व लज्जा भंग करने के बाद मृतका ने लिखित शिकायत दी थी, लेकिन पुलिस ने उसे कई घंटे तक थाने में बिठाए रखा। एफआइआर दर्ज न करवाने के लिए दबाव डाला गया। आरोप है कि इंटरनेट न होने की वजह से दर्ज करने में देरी का बहाना भी बनाया गया। लिखित शिकायत में जो आरोप थे वो एफआइआर में नहीं है। पुलिस पर फेरबदल करने का भी आरोप लगाया गया।
सुसाइड नोट में आरोप, शेर की तरह जीना था…
सुसाइड नोट में लिखा कि वो ऐसी जिंदगी से परेशान हो गई है और अब जीना नहीं चाहती है। घरवालों ने उसका साथ नहीं दिया। सौ दिन डरकर जीने से अच्छा है वह एक दिन शेर की तरह जी लूं। आरोपियों ने उसके साथ छेड़छाड़ की थी। तब भी घरवालों ने साथ नहीं दिया था। उसे ऐसी लाइफ नहीं चाहिए। जातिगत, छूआछूत व लोग गंदी नजरों से देखते हैं।
सुसाइड नोट में आगे लिखा कि राज, विक्की व मां ने बहुत परेशान किया। पुलिस ने भी सहयोग नहीं किया। वह घरवालों के लिए लड़ी थी। ताकि वे सुरक्षित रह सकें, लेकिन घरवालों ने भी उसका सपोर्ट नहीं किया था। थाने में एफआइआर दर्ज कराने गई तो पुलिस व पार्षद जानीदेवी ने राजीनामा करने का दबाव डाला था। अब और सहन नहीं कर सकती। एफआइआर व कोर्ट केस की वजह से नौकरी नहीं लगेगी। उसके जाने से शायद सब ठीक हो जाए।
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यह है मामला
गत 30 अप्रेल को युवती ने मोहल्ले में रहने वाले राज, विकास उर्फ विक्की व उसकी मां के खिलाफ मारपीट, लज्जा भंग करने, मां व बेटी को बाल पकड़ घसीट कर मकान से बाहर लाने और जातिसूचक शब्दों से अपमानित करने का मामला दर्ज कराया था। पुलिस ने मारपीट, लज्जा भंग, एससी-एसटी एक्ट की धाराओं में मामला दर्ज किया था। इस संब्धं में राजू पुत्र शंकरलाल बिश्नोई को शांति भंग करने के आरोप में गिरफ्तार किया था, जो जमानत पर छूटा था।