याचिकाकर्ता ने दी ये दलील
न्यायाधीश दिनेश मेहता की एकल पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता शिक्षक शंभूसिंह का व्यवहार स्पष्ट रूप से अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है और उनके खिलाफ विभागीय जांच आवश्यक है। याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि वह माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष हैं और उनकी सेवाओं को राज्य सरकार ने सराहा था। उनका नाम राज्य स्तरीय पुरस्कार के लिए भी अनुशंसित किया गया था, लेकिन उनके खिलाफ बदले की भावना से कार्यवाही करते हुए आरोप पत्र जारी किया गया और उन्हें निलंबित कर दिया गया।
कोर्ट बोला- विभागीय अनुशासन जरूरी
राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि एक सरकारी कर्मचारी को अपनी बात रखने का अधिकार है, लेकिन यह अधिकार आधारहीन आरोप लगाने और अभद्र भाषा का प्रयोग करने की अनुमति नहीं देता। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता के कई स्थानों पर होर्डिंग लगाने और अभद्र भाषा का उपयोग करने जैसे असंयमित व्यवहार को देखते हुए विभागीय अनुशासन बनाए रखने के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता थी।