scriptजर्मन शेफर्ड पालते हैं? कानपुर में पालतू कुत्ते के हमले से मचा हड़कंप, एक्सपर्ट ने समझाया पूरा मामला | Patrika News
कानपुर

जर्मन शेफर्ड पालते हैं? कानपुर में पालतू कुत्ते के हमले से मचा हड़कंप, एक्सपर्ट ने समझाया पूरा मामला

कानपुर में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां एक पालतू जर्मन शेफर्ड कुत्ते ने अपनी ही 91 साल की बुजुर्ग महिला पर जानलेवा हमला कर दिया। कुत्ता करीब दो घंटे तक महिला को नोचता रहा, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई।

कानपुरMar 19, 2025 / 04:05 pm

ओम शर्मा

German shapard
यह घटना एक बार फिर यह सवाल खड़ा करती है कि क्या कुछ खास नस्लों के कुत्ते पालतू बनाए जाने लायक हैं? सवाल ये भी है कि किन परिस्थियों में जर्मन शेफर्ड जैसा पालतू इतना आक्रामक हुआ। सभी सवालों का जवाब एक्सपर्ट के जरिए समझने की कोशिश करेंगे।

जर्मन शेफर्ड क्यों हुआ हिंसक?

जाने माने डॉग एक्सपर्ट वीरेन्द्र शर्मा के अनुसार बदलते जमाने के साथ डॉग्स में कई तरह की बीमारियां पनप रही हैं। ऐसे में अधिकांश डॉक्टर इन्हें स्टेरॉइड देते हैं। कई मामलों में स्टेरॉइड के साइड इफेक्ट होते हैं जिसके चलते डॉग्स का व्यवहार बदल जाता है। इसी स्टेरॉइड के कारण चिड़चिड़ापन हो जाता है। शर्मा के अनुसार नियमित एक्सरसाइज और दवाइंयों की अधिकता के कारण डॉग्स का विजन ब्लर हो जाता है जिसके कारण कई बार डॉग्स अपने पराए की पहचान भी नहीं कर पाते हैं। एक्सपर्ट के अनुसार कुछ संभावित कारण भी हो सकते हैं जिसके कारण कई बार डॉग्स आक्रमक हो जाते हैं।
यह भी पढ़ें

बस और तेल टैंकर में हुई भीषण भीड़ंत, चीख पुकार के बीच तेल लूटते दिखे लोग

अत्यधिक तनाव और उत्तेजना– यदि कुत्ते को पर्याप्त शारीरिक व्यायाम या मानसिक गतिविधियां नहीं दी जाती हैं, तो वह चिड़चिड़ा हो सकता है।
गलत प्रशिक्षण या दुर्व्यवहार– यदि कुत्ते के साथ गलत व्यवहार किया गया हो मारपीट जैसी घटना, तो वह भविष्य में आक्रामक हो सकता है।
दवाइयों के कारण– डॉक्टर अक्सर पालतू डॉग्स को स्टेरोइड देते हैं जिसके कारण कई बार साइड इफेक्ट हो जाता है लेकिन ये मूक प्राणी अपनी तकलीफ नहीं बता पाते।
पालतू का असमाजिक होना– लगातार बंधा रहना, नए लोगों से ज्यादा मिलना-जुलना न होना भी कुत्ते की हिंसा को बढ़ा सकता है।
यह भी पढ़ें

जर्मन शेफर्ड ने मालकिन को नोच-नोच कर मार डाला, दो घंटे तक तड़पती रही महिला

क्या पहले भी भारत में ऐसी घटनाएं हुई हैं?

यह पहली बार नहीं है जब किसी पालतू कुत्ते ने अपने ही मालिक पर हमला किया हो। कुछ ऐसी घटनाएं पहले भी भारत में हो चुकी हैं।
लखनऊ (2022): एक पिटबुल कुत्ते ने अपनी 80 वर्षीय महिला मालकिन पर हमला कर उनकी जान ले ली थी।
दिल्ली (2023): एक रॉटवीलर ने पांच वर्षीय बच्चे पर हमला कर उसे गंभीर रूप से घायल कर दिया था।

नोएडा (2024): एक डोबर्मन ने अपनी देखभाल करने वाले व्यक्ति पर हमला किया, जिससे उसकी गर्दन पर गहरे घाव हो गए थे।

सबसे वफादार जर्मन शेफर्ड का क्या है इतिहास

जर्मन शेफर्ड नस्ल की शुरुआत 19वीं शताब्दी के अंत में जर्मनी में हुई थी। इस नस्ल का उपयोग दूसरे विश्व युद्ध में किया गया, जिससे इसकी क्षमताएं साबित हुईं। युद्ध के बाद, अमेरिका, ब्रिटेन, रूस और अन्य देशों में इसे पुलिस और सेना के कार्यों के लिए प्राथमिकता दी जाने लगी। ये वफादार और दुनिया की सबसे तेज सीखने वाली नस्लों में से एक है। हालांकि इसे पालने के लिए अनुशासन, प्रशिक्षण और जिम्मेदारी की जरूरत होती है। सही देखभाल और प्रशिक्षण के बिना, यह नस्ल आक्रामक या खतरनाक साबित हो सकती है। इसलिए, इसे पालने से पहले इसके स्वभाव और जरूरतों को समझना बहुत जरूरी है।

Hindi News / Kanpur / जर्मन शेफर्ड पालते हैं? कानपुर में पालतू कुत्ते के हमले से मचा हड़कंप, एक्सपर्ट ने समझाया पूरा मामला

ट्रेंडिंग वीडियो