उत्तर प्रदेश के कानपुर के नरवल तहसील के अखरी गांव में प्रेमानंद आचार्य का जन्म हुआ था। उनके पिता शंभू नारायण पांडे पुरोहित का काम करते थे। बचपन में प्रेमानंद आचार्य को अनिरुद्ध कुमार पांडे के नाम से जाना जाता था। जिनकी मां का नाम रामा देवी है। तीन भाइयों में प्रेमानंद आचार्य बीच के हैं। घर में पुरोहित का काम होने के कारण प्रेमानंद आचार्य का बचपन आध्यात्म के साथ बीता। पूजा पाठ के प्रति उन में विशेष लगाव था। उनकी पढ़ाई कक्षा आठ तक है। भास्करानंद विद्यालय में आगे की पढ़ाई के लिए एडमिशन कराया गया। लेकिन ज्यादा दिन पढ़ाई नहीं हो पाई।
मुझे गर्व है कि आप की जन्मभूमि मेरी विधानसभा में
आचार्य प्रेमानंद के अनुयायियों में आम से लेकर खास सभी शामिल है। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक के बाद विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना प्रेमानंद आचार्य मिलने पहुंचे। अपना परिचय देते हुए उन्होंने कहा कि मैं महाराजपुर से विधायक हूं। अखिरी सहमसी गांव मेरी क्षेत्र में आता है। जिस पर मुझे गर्व है। इस पर प्रेमानंद आचार्य के खिलखिला कर हंस पड़े। उन्होंने कहा कि वहीं पर मेरा बालपन बीता है। गंगा किनारे से हरिद्वार, काशी उनका कार्य क्षेत्र रहा।
लोभ और भय के बिना कार्य करने को कहा
प्रेमानंद आचार्य ने कहा खूब नाम जाप कीजिए, स्वस्थ रहिए, भगवान के आशीष से राष्ट्र की सेवा कीजिए। जो पद मिला है लोभ रहित और भय रहित होकर समाज की सेवा कीजिए। यही भगवान की पूजा है। निरंतर नाम जप कीजिए। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि वह नाम जाप किया करते हैं। इस मौके पर प्रेमानंद महाराज के अनुयायियों ने विधानसभा अध्यक्ष सहित अन्य को प्रसाद दिया।