वंदे गंगा जल संरक्षण जन अभियान के तहत शनिवार को जिले के जीतकीपुर (गुढ़ाचन्द्रजी) आए वन एवं पर्यावरण मंत्री संजय शर्मा ने यह बात कही। पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में मंत्री शर्मा ने कहा कि प्रदेश के अभयारण्यों में बाघों की संख्या में तेज गति से वृद्धि हुई है।
हालांकि बीते दिनों में रणथम्भौर अभयारण्य में इंसानों पर बाघों के बढ़ते हमले और तीन जनों की मौत को लेकर मंत्री ने दुख जताया। वे बोले कि यह दुखद घटनाएं हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के प्रयास किए जा रहे हैं। रणथम्भौर, सरिस्का, धौलपुर-करौली, कैलादेवी आदि वन्य जीव अभयारण्यों में अनेक गांव बसे हुए हैं।
हालांकि जंगल में बसे गांवों के ग्रामीण वहां से जाना तो चाहते हैं, लेकिन पुराने पैकेज को लेकर वे सहमत नहीं है। कई जगह पैकेज को लेकर ग्रामीणों ने विस्थापन में असमर्थता जताई। इस संबंध में मुख्यमंत्री ने बजट घोषणा की थी, जिसके बाद मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बैठक हो चुकी है। पुराने पैकेज के स्थान पर अब नया पैकेज जारी किया जाएगा, जो निश्चित रूप से अच्छा होगा। इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
मंत्री ने कहा कि विस्थापन होने पर टकराव की स्थिति से काफी हद तक निजात पाई जा सकेगी। आमजन के साथ वन्यजीव और वन क्षेत्र सुरक्षित हो सकेंगे। इस मौके पर कैलादेवी अभयारण्य में बाघों की बढ़ती संख्या के बीच इसे विकसित करने के सवाल पर वन मंत्री संजय शर्मा बोले कि आप बहुत भाग्यशाली हैं। धौलपुर-करौली, कैलादेवी अभयारण्य क्षेत्र में तेज गति से बाघों की संख्या में वृद्धि हुई है। करौली को भगवान मदनमोहनजी और कैलामाता के नाम से जाना जाता है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं को भी आने वाले समय में टाइगर देखने का मौका मिलेगा। मंत्री बोले कि मेरा मानना है कि आने वाले समय में पर्यटन की दृष्टि से करौली हिन्दुस्तान के मानचित्र पर स्थापित होगा। उन्होंने कहा कि विभाग की ओर से लगातार मॉनीटरिंग और ट्रेकिंग की जा रही है।