विक्रमादित्य की जासूसी से सामने आई सच्चाई
कोदूपुरी गोस्वामी बताते हैं कि राजा कर्ण की इस चमत्कारी परंपरा के बारे में कोई कुछ नहीं जानता था, लेकिन इस रहस्य से पर्दा उठाया उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने। कथा के अनुसार उज्जैन में एक वृद्ध महिला चक्की पीसते समय कभी रोती थी तो कभी हंसती थी। विक्रमादित्य ने जब इसका कारण पूछा तो महिला ने बताया कि उसका बेटा 20 साल पहले लापता हो गया था। इसी उम्मीद में कि वह कभी लौटकर आएगा, वह कभी रोती तो कभी हंस पड़ती थी। विक्रमादित्य उस वृद्धा के पुत्र को खोजने बिलहरी पहुंचे और पता चला कि उसका बेटा राजा कर्ण की सेना में चौकीदारी करता है। विक्रमादित्य ने युवक को मुक्त करवाया और फिर राजा कर्ण के सोने के रहस्य को जानने के लिए जासूसी करने लगे। अच्छी पहल: नगर निगम में 100 एचपी का लगेगा सोलर ग्रिड सिस्टम
विक्रमादित्य ने देवी से वरदान प्राप्त किया
जासूसी के दौरान राजा विक्रमादित्य ने देखा कि राजा कर्ण खौलते तेल में कूदते हैं और देवी से आशीर्वाद के रूप में सोना प्राप्त करते हैं। यह देखकर विक्रमादित्य ने स्वयं राजा कर्ण के स्थान पर कढ़ाव में कूदने का साहस किया। माता चंडी ने उन्हें भी आशीर्वाद दिया और वरदान स्वरूप उन्हें अक्षय पात्र और अमृत कलश प्रदान किया, जिससे कभी भी अन्न और अमृत की कमी नहीं होती थी। इसके बाद राजा विक्रमादित्य उज्जैन लौट गए और मां चंडी की महिमा को जन-जन तक पहुंचाया।
भक्तों का लगा तांता, आस्था से गूंज रहा मंदिर
आज भी मां चंडी के इस चमत्कारी मंदिर में चैत्र नवरात्र के दौरान हजारों श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं। यहां की नक्काशीदार कलाकृतियां और प्राचीन स्थापत्य मंदिर के ऐतिहासिक महत्व को दर्शाती हैं। नवरात्रि के दौरान यहां विशेष पूजन, हवन और भंडारे का आयोजन किया जाता है, जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु शामिल होते हैं। भक्तजन देवी से सुख-समृद्धि और रक्षा का आशीर्वाद मांगते हैं। बिलहरी का मां चंडी मंदिर न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह एक ऐसा स्थल है जहां इतिहास, संस्कृति और चमत्कार एक साथ देखने को मिलते हैं।