पीडब्ल्यूडी कालोनी निवासी जिला प्रबंधक ई-गवर्नेंस सौरभ नामदेव की पत्नी पारुल नामदेव (26) की तबीयत चार साल पहले अचानक बिगडऩे लगी थी। जांच के दौरान पता चला कि पारुल की दोनों किडनियां खराब हो चुकी हैं। समय के साथ उनकी हालत और बिगड़ती चली गई, जिससे पूरे परिवार पर संकट के बादल मंडराने लगे। रीवा मेडिकल कॉलेज से सभी मेडिकल प्रक्रियाओं की स्वीकृति के बाद 21 जनवरी को भोपाल के एक निजी अस्पताल में सफलतापूर्वक किडनी ट्रांसप्लांट किया गया।
ऐसे कठिन समय में पारुल की सास माधुरी नामदेव (58), जो पेशे से शिक्षिका हैं, ने परिवार को टूटने से बचाने और बहू को नया जीवन देने का निश्चय किया। उन्होंने अपनी बहू के दर्द को खुद का समझते हुए किडनी दान करने का बड़ा फैसला लिया। रीवा मेडिकल कॉलेज से सभी मेडिकल प्रक्रियाओं की स्वीकृति के बाद भोपाल के एक निजी अस्पताल में सफलतापूर्वक किडनी ट्रांसप्लांट किया गया।
मूल रूप से सतना जिले के कोठी निवासी नामदेव परिवार हमेशा से ही सामाजिक मूल्यों और परिवारिक एकता का प्रतीक रहा है। सौरभ के पिता प्रमोद कुमार नामदेव प्रधानाध्यापक पद से सेवानिवृत्त हुए हैं, जबकि उनकी मां माधुरी नामदेव गांव के गल्र्स हाई स्कूल में शिक्षिका के रूप में कार्यरत हैं। उन्होंने न केवल अपने छात्रों के जीवन में शिक्षा की रोशनी फैलाई है, बल्कि अब अपनी बहू के जीवन को भी नई रोशनी दी है। सौरभ नामदेव के पिता प्रमोद कुमार ने भी इस मुश्किल समय में बेटे और बहू का पूरा साथ दिया। उन्होंने परिवार को हर कदम पर संबल दिया और समाज के सामने एक आदर्श प्रस्तुत किया।
पारुल नामदेव, जो घर की बड़ी बहू हैं, ने शुरुआत से ही परिवार को जोडकऱ रखने का काम किया। उन्होंने अपने व्यवहार और जिम्मेदारियों से सभी का दिल जीत लिया। उनकी विनम्रता और परिवार के प्रति समर्पण ने सास-बहू के रिश्ते को गहराई दी। पारुल की इन खूबियों ने ही माधुरी नामदेव को यह बड़ा फैसला लेने के लिए प्रेरित किया।
बेटे के जन्मदिन पर बहू को मिला नया जीवन
यह घटना और भी खास तब बन गई जब पारुल को किडनी दान करने का दिन उनके पति सौरभ नामदेव के जन्मदिन 21 जनवरी को चुना गया। इस दिन मां ने अपने बेटे को अनमोल तोहफा देते हुए उसकी जीवनसंगिनी को नया जीवनदान दिया।
किडनी ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम देने के लिए भोपाल के डॉक्टर विद्यानंद त्रिपाठी (नेफ्रोलॉजिस्ट) और सर्जन डॉक्टर संतोष अग्रवाल की टीम ने अथक प्रयास किया। उन्होंने बताया कि सास-बहू दोनों के ब्लड ग्रुप और मेडिकल रिपोट्र्स में अनुकूलता मिलने के बाद ट्रांसप्लांट संभव हो सका।
इस घटना के बाद पूरे परिवार और समाज में खुशी की लहर दौड़ गई। नामदेव परिवार की इस मिसाल ने सास-बहू के रिश्तों को लेकर चली आ रही पारंपरिक सोच को बदलने का काम किया है। समाज के लोगों का कहना है कि माधुरी नामदेव का यह कदम न केवल उनके परिवार के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणादायी है।
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डॉक्टर्स की प्रतिक्रिया
डॉक्टर संतोष अग्रवाल ने कहा, “यह ऑपरेशन सिर्फ एक मेडिकल प्रक्रिया नहीं थी, बल्कि यह मानवीय संवेदनाओं और रिश्तों की गहराई को दर्शाने वाला एक उदाहरण था। सास द्वारा बहू को किडनी दान करना एक दुर्लभ और प्रेरक कदम है।”
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इस घटना ने समाज में रिश्तों की परिभाषा को नए सिरे से गढ़ा है। जहां आमतौर पर सास-बहू के झगड़े सुर्खियों में रहते हैं, वहीं इस घटना ने यह साबित कर दिया कि रिश्ते प्यार, समझदारी और समर्पण से मजबूत होते हैं। माधुरी नामदेव और पारुल नामदेव की यह कहानी उन सभी परिवारों के लिए एक प्रेरणा है जो रिश्तों में दरार के कारण टूटने की कगार पर हैं। इस घटना ने यह संदेश दिया है कि सास-बहू का रिश्ता भी मां-बेटी की तरह मजबूत और प्यार भरा हो सकता है, बस जरूरत है थोड़ी समझदारी और दिल से रिश्ते निभाने की।
मूल रूप से सतना जिले के कोठी निवासी सौरभ के पिता प्रमोद कुमार नामदेव प्रधानाध्यापक पद से सेवानिवृत्त हुए हैं, जबकि उनकी मां माधुरी नामदेव गांव के गल्र्स हाइस्कूल में शिक्षिका के रूप में कार्यरत हैं। सौरभ नामदेव के पिता प्रमोद कुमार ने भी इस मुश्किल समय में बेटे और बहू का पूरा साथ दिया। उन्होंने परिवार को हर कदम पर संबल दिया और समाज के सामने एक आदर्श प्रस्तुत किया।
किडनी ट्रांसप्लांट के लिए भोपाल के डॉक्टर विद्यानंद त्रिपाठी (नेफ्रोलॉजिस्ट) और सर्जन डॉक्टर संतोष अग्रवाल की टीम ने प्रयास किया। उन्होंने बताया कि सास-बहू दोनों के ब्लड ग्रुप और मेडिकल रिपोट्र्स में अनुकूलता मिलने के बाद ट्रांसप्लांट संभव हो सका। डॉक्टर संतोष अग्रवाल ने कहा, यह ऑपरेशन सिर्फ एक मेडिकल प्रक्रिया नहीं थी, बल्कि यह मानवीय संवेदनाओं और रिश्तों की गहराई को दर्शाने वाला एक उदाहरण था। सास द्वारा बहू को किडनी दान करना प्रेरक कदम है।
मां ने मेरे जन्मदिवस पर अनमोल तोहफा दिया है। मां ने मुझे दो बार जीवन दे दिया है। पहले मुझे जन्म देकर और फिर पत्नी को किडनी देकर नया जीवन दिया है। कितने भी जन्म ले लूं, लेकिन मैं मां के ऋण को कभी नहीं चुका सकूंगा।
सौरभ नामदेव, जिला प्रबंधक इ-गवर्नेंस।