कौशांबी जिले में 103 साल के बुजुर्ग लखन की 48 साल बाद जेल से रिहाई हुई। लखन पुत्र मंगली को वर्ष 1977 में गांव के ही एक व्यक्ति की हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा मिली थी। तब से वह जेल में बंद थे। अब उनकी रिहाई जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की पहल पर संभव हो सकी है। लखन को रिहा कराने के लिए उनके परिजन दशकों से प्रयासरत थे, लेकिन सफलता नहीं मिल रही थी। उम्र के इस पड़ाव पर पहुंचने के बाद परिजनों ने मानवीय आधार पर रिहाई की गुहार लगाई।
परिवार में आधे लोगों नहीं पहचान सके लखन
लखन अपने परिवार में आधे लोगों को पहचान नहीं सके। क्योंकि 48 वर्षों से वह जेल में थे तो इस दौरान लगभग एक पीढ़ी तो मान लो गुजर ही गई। बूढ़े लोग लगभग गुजर चुके। बच्चे जवानी से बुढ़ापे की दहलीज पर पहुंच चुके हैं। गांव का बदल गया कायाकल्प
लखन का गांव अब बिल्कुल बदल चुका है, गांव अब पहले जैसा नहीं रहा। यहां बहुत कुछ बदल चुका है। कच्चे और छप्पर वाले मकान अब पक्के घरों में तब्दील हो चुके हैं। लखन के साथ वाले अब दुनिया छोड़कर जा चुके हैं। यह सब देख कर लखन की आंखें भर आईं और उनके मुंह से बस एक ही बात निकली … कि अब क्या फायदा’।