भूजल विभाग में खंडवा डिविजल के पास पहले आठ जिलों का काम था। जिसमें खंडवा, खरगोन, बुरहानपुर, बड़वानी, धार, अलीराजपुर, झाबुआ और बैतूल शामिल है। सिंहस्थ 2028 के लिए डॉ. मोहन यादव सरकार ने उज्जैन के भूजल विभाग को नमामि क्षिप्रे विभाग में मर्ज कर दिया। जिसके बाद उज्जैन डिविजन के इंदौर, उज्जैन, देवास, आगर सहित 9 जिलों की जिम्मेदारी भी खंडवा डिविजन को दे दी गई। खंडवा जिले में ईई के रूप में पदस्थ सफदर हुसैन तीन माह पूर्व सेवानिवृत्त हो गए। जिसके बाद ये पद खाली हो गया। अब उनका प्रभार धार, झाबुआ, अलीराजपुर के ईई पंकज चौहान को दे दिया गया है। एक ईई के भरोसे 17 जिलों में काम हो रहा है।
प्रदेश में भूजल विभाग के कुल 33 सब डिविजन में भूजल स्तर नापने के लिए जियोलॉजिकल विशेषज्ञों की भी कमी है। प्रदेश में कुल 5 जियोलॉजिकल विशेषज्ञ है, लेकिन खंडवा डिविजन के 11 सब डिविजन के 17 जिलों में तो एक भी जियोलॉजिकल विशेषज्ञ नहीं है। पूरे डिविजन में कुल 7 सब इंजीनियर्स विभाग के पास है, दो सब इंजीनियर जल संसाधन विभाग से प्रतिनियुक्ति पर कार्य कर रहे हैं। खंडवा जिले में तो सिर्फ एक सब इंजीनियर और एक बाबू ही पदस्थ है, जो जल संसाधन विभाग के है।
भूजल विभाग का सबसे महत्वपूर्ण कार्य हर साल मानसून में कितनी बारिश होकर कितना पानी धरती के अंदर गया है, इसकी गणना करनी होती है। मानूसन के बाद इस पानी का कितना उपयोग, खेती, उद्योग, पीने के लिए किया गया, इन सबकी जानकारी एकत्रित कर मानचित्रण करना होता है। दूसरा कार्य बड़े तालाब का सर्वे उसका पानी कहीं नीचे से तो नहीं निकल जाएगा, इसकी जानकारी देना होती है, ताकि उचित स्थान पर डेम बनाए जा सके। तीसरा कार्य खेती के लिए नलकूप खनन के लिए किसानों को उचित सलाह देना होता है।
भूजल विभाग में पूरे प्रदेश में ही अधिकारियों, कर्मचारियों की कमी है। खंडवा डिविजन के लिए तो 9 सब इंजीनियर ही काम कर रहे है। विशेषज्ञों, अधिकारियों की भर्ती का मसला सरकार का है। हम कुछ नहीं कर सकते।
पंकज चौहान, प्रभारी ईई, खंडवा डिविजन