बचपन में शुरू हुई समस्या जवानी की दहलीज तक बरकरार है। अब यह आगे की पढ़ाई में बाधक बन गई है। खरगोन एनआइसी से दिल्ली के आधार रीजनल ऑफिस और फिर बेंगलूरु तक फॉरवर्ड की गई, लेकिन समाधान नहीं निकला। पिता संतोष ने बताया कि राम निजी कालेज में कृषि और श्याम इंदौर से बी-फार्मेसी की पढ़ाई कर रहा है। दोनों के आधार कार्ड में फिंगर प्रिंट बदलवाने के लिए कई बार आवेदन दिए।
सीएम हेल्पलाइन में शिकायत की, लेकिन समाधान नहीं हुआ। अब दोनों भाइयों ने दिल्ली में आधार रीजनल ऑफिस जाकर समस्या बताई। यहां भी कोई समाधान नहीं निकला, इसके बाद समस्या को यूआइडीएआइ के बेंगलूरु दफ्तर में भेजा गया है।
2013 में बने थे आधार कार्ड
राम ने बताया, दोनों भाइयों के आधार कार्ड बरूड़ गांव में वर्ष 2013 में बनवाए थे। जुड़वा होने से सेंटर संचालक गफलत में आ गया। उसने नाम तो सही लिखे, पर फिंगर प्रिंट क्रॉस हो गए।
आगे की पढ़ाई और जॉब में आधार जरूरी
राम और श्याम के फिंगर प्रिंट अलग होने से योजनाओं में कई समस्याएं हो रही हैं। कहीं आवेदन करने में भी फिंगर प्रिंट मैच न होने से परेशानी हो रही है। मांगा है मार्गदर्शन
हमारे स्तर पर समाधान नहीं हो सका। यूआइडीआइ के प्रोजेक्ट मैनेजर से मार्गदर्शन लिया। सामान्य तौर पर ऐसी दिक्कत नहीं होती है।
-प्रमोद पंवार, डीईजीएम, ई-गवर्नेंस, खरगोन
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