मामला तब सामने आया जब बालिकाएं हॉस्टल छोड़कर अपने घरों को चली गईं। बालिकाओं ने बताया कि उन्हें बाइबिल पढ़ने और प्रार्थना करने के लिए मजबूर किया जाता था। इसके अलावा, उनसे बर्तन धोने, अनाज साफ करने जैसे काम कराए जाते थे। मामले की गंभीरता को देखते हुए वार्डन रीता खरते को निलंबित कर दिया गया है और विस्तृत जांच जारी है।
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सोमवार को लगभग 15 छात्राएं, जो कक्षा चौथी और पांचवीं में पढ़ती हैं, कपड़े उतारने के बहाने हॉस्टल से भाग गईं। ग्रामीणों ने बच्चियों को रोका, जिन्होंने रोते हुए वार्डन रीता खरते की प्रताड़ना की बात बताई। इसके बाद, ग्रामीणों ने बालिकाओं के परिजनों को सूचना दी। मामला बिगड़ता देख खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) दिनेश चंद्र पटेल और अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे। बालिकाओं ने उन्हें इस मामले पूरी कहानी बताई।
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बालिकाओं ने बताया कि उन्हें सुबह और शाम बाइबिल पढ़ने और यीशु की प्रार्थना करने के लिए मजबूर किया जाता था। छात्राओं का कहना है कि वार्डन उनसे सफाई और अन्य घरेलू काम करवाती थीं। रात में 11 बजे तक गेहूं साफ कराना और अन्य काम करवाना आम बात थी। खाने की गुणवत्ता भी बेहद खराब थी, जिसमें इल्ली और अन्य गंदगी मिली होती थी।
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मामले की जांच के लिए बीईओ ने छात्रावास का दौरा किया, जहां से बाइबिल और ईसाई प्रार्थनाओं की सामग्री जब्त की गई। वार्डन रीता खरते को उनके पद से हटा दिया गया है और उनकी जगह संगीता यादव को नियुक्त किया गया है। एसडीएम आकांक्षा अग्रवाल ने भी मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया और बच्चियों को वापस छात्रावास में रहने के लिए मनाया। बीईओ ने जनजातीय विभाग को रिपोर्ट भेज दी है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की सिफारिश की गई है।