भैया को साक्षी बनाकर वास्तविक उम्र को बताया
ममता ने कहा कि हममें से जिन लोगों ने घर पर जन्म लिया है, उनके लिए यह समस्या है। आज बड़े भैया मेरे सामने हैं। इसलिए मैंने उन्हें साक्षी मानकर ये बात कही। मैंने बहुत पहले अपनी पुस्तक ‘एकान्ते’ में यह बात लिखी है। बुधवार को जब से ममता ने कहा कि वे 65 वर्ष की हैं। तब से तृणमूल के सूत्र अभिषेक के बयान को हल्के में ले रहे हैं लेकिन, साथ ही वे यह बताना भी नहीं भूलते कि ममता ने ये शब्द तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव के बयान को ध्यान में रखकर नहीं दिया है, क्योंकि ममता खुद कई बार सार्वजनिक रूप से कह चुकी हैं कि उम्र सिर्फ एक संख्या है।
मुझे यह नाम भी पसंद नहीं
इस कार्यक्रम में संतोष ट्रॉफी विजेता बंगाल फुटबॉल टीम के सदस्य उपस्थित थे। मंच पर ममता के भैया और आइएफए अध्यक्ष अजीत बनर्जी भी उपस्थित थे। भाषण की शुरुआत में ही ममता ने अपने भैया को खड़े होने के लिए कहा। उन्होंने अपना परिचय देते हुए कहा कि मुझे अपने जन्मदिन का दिन बिल्कुल पसंद नहीं है। मेरा धर्म, उपनाम, नामकरण में मेरा कोई हाथ नहीं, मुझे यह नाम भी पसंद नहीं है। प्रमाणपत्र में मेरी यही उम्र है। इसे मेरे मां-बाप ने लिखवाया है। मुझे इसके बारे में पता ही नहीं था। जब मैं कॉलेज में थी तो एक दिन मेरे भैया ने मुझसे कहा कि क्या तुम्हें पता है पिताजी ने तुम्हारी और मेरी उम्र में सिर्फ छह महीने का फर्क रखा है। सर्टिफिकेट में तुम्हारी और मेरी उम्र में सिर्फ छह महीने का अंतर है। मैंने जवाब देते हुए कहा कि अच्छा।