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World Cancer Day: कैंसर से हर 8 मिनट में एक व्यक्ति की हो जाती है मौत, जानें कोटा संभाग में कितने नए रोगी बढ़े

Cancer Patients In Kota Division: विश्व कैंसर दिवस 4 फरवरी को पूरे विश्व में मनाया जाता है। इस साल इसकी थीम है यूनाइटेड बाय यूनिक। डब्ल्यूएचओ के अनुसार कैंसर विश्व में मृत्यु देने वाली दूसरी मुख्य बीमारी है।

कोटाFeb 04, 2025 / 12:14 pm

Akshita Deora

World Cancer Day 2025: कैंसर रोग किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन रोग का निदान व उपचार प्रारंभिक अवस्थाओं में किया जाए तो कैंसर का पूर्ण उपचार संभव है। कैंसर का सर्वोत्तम उपचार बचाव ही है। यदि व्यक्ति जीवनशैली में कुछ परिवर्तन करने को तैयार हो तो 50 प्रतिशत मामलों में कैंसर को होने के पहले ही रोका जा सकता है।
हाड़ौती अंचल में कैंसर होने का कारण गुटखा, जर्दा, स्मोकिंग, लालदंत मंजन व शराब का सेवन है। इनके सेवन से प्रतिवर्ष कैंसर रोगी बढ़ रहे हैं। अकेले कोटा संभाग में पिछले दो साल में 100 से अधिक नए कैंसर रोगी सामने आ चुके हैं। कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जिसमें शरीर की कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं और ट्यूमर बना लेती हैं। ये ट्यूमर शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। पुरुषों में नाक, कान व गला के रोगी ज्यादा हैं तो महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर व बच्चेदानी के कैंसर के रोगी सर्वाधिक हैं। विश्व कैंसर दिवस 4 फरवरी को पूरे विश्व में मनाया जाता है। इस साल इसकी थीम है यूनाइटेड बाय यूनिक। इसका मतलब है कि कैंसर केयर हर मरीज को उसकी जरूरत और बीमारी के हिसाब से दी जाए, ताकि वो ठीक हो सके और जीवन जीने की गुणवत्ता में सुधार हो सके।
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कैंसर के लक्षण

थकान, वजन घटना, भूख में कमी, दर्द, गांठ या सूजन, त्वचा में बदलाव, मल या मूत्र में बदलाव, खांसी या आवाज में बदलाव।

कैंसर का निदान संभव

शारीरिक परीक्षण, रक्त परीक्षण, इमेजिंग परीक्षण जैसे एक्स-रे, सीटी स्कैन, एमआरआई, बायोप्सी।

एक तिहाई कैंसर से होने वाली मौत हमारी गलत आदत

डब्ल्यूएचओ के अनुसार कैंसर विश्व में मृत्यु देने वाली दूसरी मुख्य बीमारी है। इस बीमारी से पूरे विश्व में हर 8 मिनट में एक व्यक्ति की मौत हो जाती है। करीब एक करोड़ लोगों की हर साल इस बीमारी से मौत हो जाती है। पूरे विश्व में लगभग 6 मौतों में से 1 मौत कैंसर से होती है। एक तिहाई कैंसर से होने वाली मौतों की वजह हमारी गलत आदतें हैं। पूरे विश्व में 22% कैंसर मौतों के लिए तंबाकू जिम्मेदार है। आने वाले 20 वर्ष में भारत में कैंसर के रोगी लगभग दोगने हो जाएंगे। भारत में नए-पुराने केस मिलाकर करीब 25 लाख रोगी कैंसर बीमारी से पीड़ित हैं।
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बच्चों में भी होता है नेत्र कैंसर

बच्चों में होने वाले नेत्र कैंसर, जिसे रेटिनोब्लास्टोमा कहा जाता है। यह रेटिना की कोशिकाओं में शुरू होता है। यह कैंसर अधिकतर तीन साल तक के बच्चों में देखा जाता है। इसमें बच्चे की आंखों में रोशनी पड़ने पर सफेद चमक दिखाई देती है। समय रहते इसका निदान और इलाज संभव है। नेत्र कैंसर का उपचार कीमोथैरेपी, रेडियोथैरेपी और सर्जरी के माध्यम से किया जाता है। ऐसे बच्चों के माता-पिता और भाई-बहनों को भी आंखों की जांच करवानी चाहिए, ताकि किसी भी संभावित खतरे को समय पर पहचाना जा सके। आंख की पलकों का कैंसर अक्सर सूरज की पराबैंगनी किरणों के लंबे समय तक संपर्क में रहने के कारण होता है। इससे बचने के लिए धूप में जाते समय काला चश्मा और टोपी का इस्तेमाल करना चाहिए।
डॉ.सुरेश पाण्डेय, नेत्र रोग विशेषज्ञ

आंखों के कैंसर में लापरवाही से खतरा

युवाओं में मेलेनोमा सामान्य तौर पर पाए जाने वाला आंखों का कैंसर है। बच्चों में आंख का कैंसर रेटिनोब्लासटोमा बीमारी के नाम से हो सकता है। आंखों का कैंसर असामान्य कोशिकाओं की वृद्धि के कारण होता है। देश में प्रत्येक वर्ष दस हजार आंखों के कैंसर के मामले संज्ञान में आते हैं। इनमें से 70 से 80 फीसदी युवा और करीब 20 से 30 प्रतिशत बच्चे होते हैं। हर साल करीब डेढ हजार बच्चे रेटिनोब्लास्टोमा से ग्रसित होते हैं। नई तकनीक व उचित प्रबंधन की बदौलत आंखों की पलकों और भीतरी भाग में होने वाले कैंसर को कम किया जा सकता है। आंखों का कैंसर पैदा हुए बच्चे को भी हो सकता है। जानकारी के अभाव में ज्यादातर लोग आंखों के कैंसर को गंभीरता से नहीं लेते। लापरवाही से जान को खतरा भी हो सकता है।

प्रो. डीडी वर्मा, नेत्र रोग विशेषज्ञ

लोगों की जीवनशैली में बदलाव आ जाए तो कैंसर के 50 फीसदी मामले खत्म हो सकते हैं। कोटा संभाग में सबसे अधिक नाक, कान व गला के कैंसर रोगी सामने आ रहे हैं। इसका मुख्य कारण गुटखा, स्मोकिंग, लाल दंत मंजन, शराब का अधिक सेवन है। यदि व्यक्ति इनका सेवन करना बंद कर दे तो काफी हद तक कैंसर रोग पर काबू पाया जा सकता है। इसके अलावा प्रारंभिक तौर पर किशोरवय बालिकाओं को टीके लग जाएं तो 20 से 25 फीसदी कैंसर को आने से पहले ही रोक सकते हैं।
डॉ. आरके तंवर, कैंसर रोग विभागाध्यक्ष, कोटा मेडिकल कॉलेज

कैंसर बीमारी लाइलाज नहीं है। हमारे पास ज्यादातर मरीज लास्ट स्टेज में पहुंचते हैं। यदि मैं रोजाना 10 कैंसर मरीज देख रहा हूं तो इनमें से 6 मरीज लास्ट स्टेज वाले होते हैं। कैंसर की जांच कराने में व इलाज लेने में काफी देर हो जाती है। किसी भी तरह का असामान्य लक्षण आने पर डरने की बजाए तुरंत ही चिकित्सकीय परामर्श लेना चाहिए। शरीर में किसी भी तरह की समस्या होने पर नजर अंदाज नहीं करें। वर्ष में एक बार सभी पुरुष और महिलाएं अपनी उम्र के हिसाब से हेल्थ चैकअप करवा लें।
डॉ. हर्ष गोयल, कैंसर रोग विशेषज्ञ

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