ये है राजस्थान का पहला ऐसा पार्क, जिसका खुद का सीवर ट्रीटमेंट प्लांट, खाद-पानी के लिए अलग से नहीं करना पड़ता खर्च
Kota Oxygen Park-City Park: ऑक्सीजोन के एक किनारे पर बने 2 एमएलडी सीवर ट्रीटमेंट प्लांट में राजीव गांधी नगर, न्यू राजीव गांधी नगर, इन्द्र विहार समेत आसपास के इलाकों से निकलने वाले सीवर का पानी आता है।
मुकेश शर्मा कोटा का सिटी पार्क (ऑक्सीजोन) प्रदेश में पहला ऐसा पार्क बन गया है, जहां खुद का सीवर ट्रीटमेंट प्लांट है। यहां आसपास के क्षेत्र के सीवर वेस्ट को फिल्टर कर पार्क में करीब 2 लाख पौधों की सिंचाई में पानी काम लिया जाता है। यही नहीं इस सीवर पानी से पार्क के खाद का खर्च भी कम हो गया है। प्रदेश में अभी तक किसी पार्क का खुद का सीवर ट्रीटमेंट प्लांट नहीं है। 120 करोड़ रुपए से निर्मित कोटा ऑक्सीजोन पार्क अपने 71 एकड़ के एरिया के साथ देश-दुनिया के बड़े और भव्य पार्कों में शुमार है। यह दुनिया से सबसे बड़े पार्क (लंदन के सेंट जेस पार्क 58 एकड़) से भी बड़ा है। इसके साथ ही ये अत्याधुनिक सुविधाओं और मोन्यूमेंट से सुसज्जित है।
ऑक्सीजोन के एक किनारे पर बने 2 एमएलडी सीवर ट्रीटमेंट प्लांट में राजीव गांधी नगर, न्यू राजीव गांधी नगर, इन्द्र विहार समेत आसपास के इलाकों से निकलने वाले सीवर का पानी आता है। ट्रीटमेंट प्लांट में इस पानी को विभिन्न चरणों में ट्रीट किया जाता है। ट्रीटेड पानी से पूरे पार्क में दो लाख पेड़-पौधों और घास की सिंचाई की जा रही है। इससे रोज लाखों लीटर पानी की बचत हो रही है, वहीं वेस्ट सीवर वाटर का भी उपयोग हो रहा है।
ऑक्सीजोन पार्क में 2 एमएलडी का सीवर ट्रीटमेंट प्लांट है। यहां आसपास कॉलोनियों के सीवर के पानी को ट्रीट कर काम लेते हैं। इससे जहां लाखों लीटर पानी की प्रतिदिन बचत हो रही है, वहीं वेस्ट वाटर का भी उपयोग हो रहा है। इसके अलावा वेस्ट से खाद का खर्चा भी कम हो गया है।
कुशल कुमार कोठारी, सचिव, केडीए
12 सौ मीटर स्वच्छ पेयजल में चलते हैं शिकारा
ऑक्सीजोन पार्क में करीब 12 सौ मीटर लंबी नहर बनाई गई है। इसमें चंबल से अकेलगढ़ के जरिए फिल्टर पानी पहुंचाया जा रहा है। ऐसे में ऑक्सीजोन की नहर के पानी में कभी बदबू नहीं आती। इसके साथ ये पानी निरन्तर चलता रहता है। इसमें कश्मीर की तर्ज पर शिकारा में नौकायान की सुविधा भी उपलब्ध है।
यह पार्क प्रदूषण रहित है। यहां भ्रमण के लिए ई-व्हीकल संचालित किए जा रहे हैं। कर्मचारियों को भी ई-बाइक दी गई है। ऐसे में पार्क में कोई वाहन भीतर नहीं घुस सकता। इसी प्रकार यहां पानी में भी बिना इंजन का शिकारा चप्पू से चलाया जा रहा है। ऐसे में यहां वाहनों से किसी प्रकार का प्रदूषण नहीं होता। यहां तक की कचरा ले जाने के लिए भी पार्क में ई-व्हीकल का संचालन किया जा रहा है। मोटे तौर पर देखा जाए तो पार्क में 72 फीसदी हरियाली, 16 फीसदी नहर, 12 फीसदी में मॉन्यूमेंट्स लगाए गए हैं।
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