न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने इस गंभीर मामले में कोटा पुलिस के अफसरों को समन जारी किया और पूछा कि अब तक FIR क्यों नहीं दर्ज की गई। कोर्ट ने छात्र आत्महत्याओं की बढ़ती संख्या पर गहरी चिंता जताई और कहा कि ऐसे मामलों में शीघ्र और निष्पक्ष जांच अनिवार्य है।
न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने 6 मई 2025 और 13 मई 2025 को पारित अपने पूर्व आदेशों में FIR दर्ज करने में देरी को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की थी, चाहे वह IIT खड़गपुर की घटना हो या कोटा आत्महत्या मामला। कहा कि इस तरह की देरी से न्याय और जवाबदेही दोनों प्रभावित होते हैं।
राज्य सरकार की ओर से दी गई सफाई
राजस्थान सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता (AAG) शिव मंगल शर्मा ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि कोटा पुलिस द्वारा इनक्वेस्ट रिपोर्ट पहले ही दर्ज की जा चुकी है। अब FIR भी दर्ज की जाएगी। उन्होंने यह भी अवगत कराया कि राज्य सरकार द्वारा राजस्थान में छात्रों की अस्वाभाविक मौतों और आत्महत्याओं की जांच हेतु एक विशेष जांच टीम (SIT) पहले ही गठित की जा चुकी है, ताकि इस संवेदनशील मुद्दे को गंभीरता से लिया जा सके। उन्होंने कहा कि मैं इस माननीय न्यायालय का प्रथम अधिकारी हूं और आश्वस्त करता हूं कि जांच को विधिसम्मत तरीके से तार्किक अंजाम तक पहुंचाया जाएगा।
नवंबर में छोड़ा था कोचिंग संस्थान
कोचिंग संस्थान की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि छात्रा ने नवंबर 2024 में संस्थान छोड़ दिया था और उस समय वह अपने माता-पिता के साथ कोटा में रह रही थी। उन्होंने कहा कि राजस्थान हाईकोर्ट पहले से इस मामले की निगरानी कर रहा है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह भी इस विषय पर गहन दृष्टि बनाए रखेगा।
14 जुलाई को होगी अगली सुनवाई
गौरतलब है कि 2025 में अब तक कोटा में छात्रों की 14 आत्महत्याएं हो चुकी हैं। 2024 में यह संख्या 17 थी। बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट ने 6 मई और 13 मई को आदेश पारित कर FIR दर्ज करने में देरी पर चिंता जताई थी। अब यह मामला 14 जुलाई 2025 को पुनः सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।