थ्री व फाइव स्टार और हैरिटेज होटलों सरीखी सुविधाओं के साथ यहां फार्म में उन्हें राजस्थान की ग्रामीण छवि देखने को मिल रही है। खेत में उगी अपनी पसंद की सब्जियां खुद तोड़कर चूल्हे पर बनवाते हैं। ऑर्गेनिक फूड और लाइव कुकिंग का तड़का खूब रास आ रहा है। इस नए ट्रेंड को भांपकर
राजस्थान के कई शहरों में देसी ठाठ के साथ फार्म हाउस और टूरिज्म यूनिट तैयार किए जा रहे हैं।
जीरो कार्बन फुटप्रिंट वाली जगह की चाहत
सैलानियों में जीरो कार्बन फुटप्रिंट वाली जगह की चाहत बढ़ रही है। विदेशी पर्यटक अब ऐसे गांवों में जाना पसंद कर रहे हैं जहां उन्हें स्वच्छ हवा-पानी, खाने को चूल्हे की शुद्ध मोटी रोटियां, खेत की सब्जी, चटनी या मिट्टी की हांडी का दही मिल सके। खेत में आलू, मूंगफली भूनकर चटनी के साथ खाने का लुत्फ ले सके। गांव में बाजरे-मक्के की रोटी और मूली-सरसों का साग बगीचे या खेत की मेढ़ पर बैठकर खाना रास आ रहा है।
गांवों में कहां क्या हो रहे नवाचार
कोटा-बूंदी: सांगोद के डाबलीकला में विलेज टूरिज्म यूनिट के आदित्य सिंह बताते हैं कि यहां राजस्थान भोजन के साथ देश के विभिन्न प्रांतों के व्यंजन भी उपलब्ध हैं। तालेड़ा-बरधा डेम रोड पर एक फार्म हाउस पर हर्बल व आर्गेनिक खेती सैलानियों को आकर्षित कर रही है। बीकानेर: सियाणा गांव के रिसोर्ट पर्यटकों को खाना बनाने का प्रशिक्षण देकर गांव की संस्कृति से रूबरू करवाया जा रहा है। चूल्हे पर तैयार बाजरे की रोटी और साग मिट्टी के बर्तनों में परोसते हैं।
जैसलमेर: सम, खुहड़ी, कनोई, मूल सागर आदि गांवों में हट्स बनाकर देसी अंदाज दिया गया है। गुड़ और बाजरे की रोटी, कढ़ी व मूली का साग पर्यटकों को पसंद आ रहा है। पाली: देसूरी में सर्दी में काफी पर्यटक आते हैं। यहां बैलगाड़ी में सैर, कुआं बावड़ी, पहाड़ियों में पैंथर की साइटिंग व हॉर्स राइडिंग, मारवाड़ी लोक संस्कृति व वेशभूषा तथा जल स्रोतों के पास लंच व ब्रेकफास्ट का सैलानी आनंद ले रहे हैं।
झुंझुनूं: बुडाना गांव में रिटायर्ड फौजी जमील पठान ने फार्म हाउस में उत्पादित अनाज व फल, सब्जियों के साथ भोजन का स्वाद लेकर पर्यटक आनंदित होते हैं। सामोद: विदेशी पावणों को गांव में घरों में बने होम स्टे में रुककर ग्रामीण परिवेश को नजदीक से जानना पसंद आ रहा है। जहां सैलानियों को ग्रामीण परिवेश की तरह रहन-सहन व खान-पान मिल रहा है।
कई टूरिस्ट अब कुछ नेचुरल देखना चाहते हैं। गेहूं की बालियां, ताजा सब्जियां आदि भा रही हैं। आने वाले समय में यह पर्यटन काफी विकसित होगा।
- नीरज भटनागर, उपाध्यक्ष, हाड़ौती टूरिज्म डवलपमेंट सोसायटी
पर्यटक ऐतिहासिक, धार्मिक स्थलों के अलावा गांव, ढाणी, खेतों की ओर भी आकर्षित हो रहे हैं। सरकार ने भी विलेज टूरिज्म को प्रमोट करने की योजना बनाई है। कोटा व बूंदी में पर्यटन से जुड़े कुछ लोगों ने कार्य शुरू किया है।
- विकास पांड्या, उपनिदेशक, पर्यटन विभाग कोटा