Why Vest Called Sando: बनियान को ‘सैंडो’ क्यों कहा जाता है? जानें इसके पीछे की रोचक कहानी
Why Vest Called Sando: बनियान की जगह सैंडो आपने भी कभी न कभी किसी न किसी से मांगी होगी। इसकी भी एक कहानी है, यह नाम लोगों की जुबान पर कैसे चढ़ा आइये जानते हैं पूरी स्टोरी..
Why Vest Called Sando: बनियान सबकी रूटीन लाइफ का खास हिस्सा है। इसकी अनेक डिजाइन, रंग, ब्रांड्स के साथ नाम भी आप जानते ही होंगे। लेकिन आप शायद ही जानते होंगे कि सबसे लोकप्रिय नाम सैंडो की कहानी एक बॉडी बिल्डर से जुड़ी हुई है। यह नाम घर-घर में लोगों की जुबान पर कैसे चढ़ा जिससे बनियान का मतलब ही सैंडो हो गया। आइए जानते हैं, बनियान को सैंडो क्यों कहते हैं (Why Vest Called Sando) और इसके पीछे क्या है खास बात।
यह कहानी शुरू होती है जर्मनी के एक छोटे से शहर से जहां 1867 में यूजेन सैंडो नामक एक लड़के का जन्म हुआ था। यूजेन सैंडो को बचपन से ही बॉडीबिल्डिंग का शौक था और उन्होंने इसे करियर बना लिया। सैंडो को उनकी बॉडी के लिए प्रसिद्धि मिली। जिसके बाद लोग उनकी परफेक्ट बॉडी देखने के लिए दूर-दूर से आते थे। उन्हें मॉडर्न बॉडीबिल्डिंग का पितामाह भी कहा जाता है। उन्होंने न केवल यूरोप, बल्कि एशिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड तक अपनी बॉडीबिल्डिंग की प्रदर्शनी लगाई थी। भारत में भी 1905 में उनका आना हुआ था।
यूजेन सैंडो का जन्म साल 1867 में जर्मनी के प्रशिया में हुआ था। सैंडो जब दस वर्ष के थे, तभी से उन्हें बॉडी बिल्डिंग का शौक चढ़ गया। उन्होंने उसके बाद कई सारी बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिताओं में भाग लिया और अपने बॉडी के ऊपर भी खूब काम किया। यूजेन सैंडो कभी भी पूरा कपड़ा नहीं पहनते थे। उनके इसी ड्रेसिंग स्टाइल पर बनियान का सैंडो पड़ गया।
यूजेन सैंडो बॉडीबिल्डिंग के दौरान जो खास स्लीवलेस टी-शर्ट पहनते थे। वह बनियान जैसी होती थी। उनकी यह ड्रेसिंग स्टाइल भारत में काफी लोकप्रिय हो गई। यही कारण था कि बाद में उन स्लीवलेस टी-शर्ट्स को ‘सैंडो’ नाम दिया गया। यह बनियान जैसी ही होती थी। जो शरीर से चिपकी हुई और बिना स्लीव्स की होती थी। भारत में इस नाम का चलन बढ़ने लगा और धीरे-धीरे लोग इन स्लीवलेस टी-शर्ट्स को ‘सैंडो’ कहने लगे।
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