2 जून की रोटी दो’: इको गार्डन में गरजे शिक्षामित्र, हजारों की संख्या में सड़कों पर उतरे TET-CTET पास शिक्षक
2 June Ki Roti Lucknow Protest: लखनऊ में 2 जून को प्रदेशभर से आए हजारों शिक्षामित्रों ने इको गार्डन में “2 जून की रोटी” के लिए जोरदार प्रदर्शन किया। हाथों में रोटी लेकर TET-CTET पास शिक्षामित्रों ने सरकार से स्थायी नियुक्ति और वेतन की मांग को लेकर नारेबाजी की और न्याय की गुहार लगाई।
2 June ki Roti Protest Shikshamitra: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 2 जून 2025 को एक बार फिर इको गार्डन प्रदर्शन स्थल शिक्षक समाज के आक्रोश का गवाह बना। ‘2 जून की रोटी’ की मांग को लेकर हजारों की संख्या में प्रदेशभर से आए शिक्षामित्रों ने जोरदार प्रदर्शन किया। इन सभी ने TET और CTET पास कर शिक्षक बनने का सपना संजोया था, लेकिन वर्षों के इंतजार और अनिश्चित भविष्य ने उन्हें मजबूर कर दिया कि वे सड़क पर उतरे और सरकार से अपना हक मांगें।
प्रदेश के 75 जनपदों से आए शिक्षामित्रों का कहना है कि वे लंबे समय से नियोजन, वेतनमान और स्थायी नियुक्ति की मांग कर रहे हैं। अनेक बार सरकार से गुहार लगाने के बावजूद अब तक उन्हें न्याय नहीं मिला है। उनका कहना है कि वे राज्य की शिक्षा व्यवस्था की रीढ़ हैं, फिर भी उन्हें न्यूनतम मानदेय और अस्थायी भविष्य के भरोसे छोड़ दिया गया है।
‘2 जून की रोटी दो’ का नारा क्यों
प्रदर्शनकारियों ने हाथ में रोटी लेकर प्रदर्शन किया, जो प्रतीक था उनकी आर्थिक तंगी और असुरक्षा का। उनका स्पष्ट संदेश था कि वे अपने परिवार का भरण-पोषण नहीं कर पा रहे हैं। वे बार-बार यह दोहरा रहे थे कि “हमें सिर्फ नौकरी नहीं, जीवन जीने का अधिकार चाहिए। दो वक्त की रोटी भी नहीं मिल पा रही है, तो कैसे करें बच्चों का पालन?”
प्रदर्शनकारी: 75 जनपदों से आए TET/CTET पास शिक्षामित्र
प्रमुख मांगें: स्थायी नियुक्ति, समान वेतनमान, पुरानी सेवा का समायोजन, न्यूनतम वेतन 25,000 रु.
प्रमुख नारे
“2 जून की रोटी दो”
“शिक्षामित्रों से भेदभाव बंद करो” “हमें भी इंसान समझो, मजदूर नहीं” शिक्षामित्रों की पीड़ा: वर्षों तक सेवा देने के बावजूद शिक्षामित्रों को न तो पूर्ण शिक्षक का दर्जा मिला और न ही उनके अनुभव का लाभ। अनेक शिक्षामित्रों का कहना है कि वे 10-15 साल से शिक्षा विभाग में कार्यरत हैं, लेकिन आज भी संविदा कर्मी की तरह काम करने को मजबूर हैं। कुछ ने कहा कि वे अब मानसिक और आर्थिक रूप से टूट चुके हैं।
शिक्षामित्रों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और शिक्षा मंत्री से निम्नलिखित मांगें रखीं:
सभी TET/CTET पास शिक्षामित्रों को प्राथमिक विद्यालयों में स्थायी नियुक्ति दी जाए।
पुरानी सेवा अवधि को शिक्षक भर्ती में जोड़ा जाए।
मानदेय में वृद्धि कर न्यूनतम वेतन ₹25,000 किया जाए।
शिक्षामित्रों के लिए अलग से नीति बने ताकि भविष्य सुरक्षित हो सके।
पूर्ववर्ती सरकार द्वारा किए गए वादों को लागू किया जाए।
राजनीतिक प्रतिक्रिया: अब तक राज्य सरकार की तरफ से इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि कुछ विधायकों ने व्यक्तिगत रूप से आश्वासन दिया है कि इस मुद्दे को विधानसभा में उठाया जाएगा। विपक्षी दलों ने सरकार पर हमला करते हुए कहा कि यह “शिक्षा व्यवस्था की अनदेखी” और “नौकरी के नाम पर धोखा” है। कांग्रेस और सपा के कुछ नेताओं ने प्रदर्शन में पहुंचकर शिक्षामित्रों का समर्थन भी किया।
पुलिस और प्रशासन की व्यवस्था: प्रदर्शन को देखते हुए लखनऊ पुलिस ने भारी सुरक्षा व्यवस्था की थी। किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए इको गार्डन क्षेत्र में पुलिस बल तैनात रहा। प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा, हालांकि शाम होते-होते भीड़ को हटाने के प्रयास शुरू किए गए।
मानवाधिकार का सवाल: ‘2 जून की रोटी दो’ जैसे नारों ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है – क्या शिक्षा का स्तंभ बनने वाले लोगों को दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष करना पड़ेगा? क्या यह लोकतंत्र के उस वर्ग के लिए न्याय है जो समाज निर्माण का आधार है?
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