प्रशासन की जीरो तैयारी
यूपी में आए तूफान की वजह से लगभग 50 से ज्यादास लोगों की मौते हो गई। जानकारों का कहना है कि इस दौरान प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठते दिखाई दे रहे हैं। प्रशासन की तूफान से निपटने की तैयारी जीरो दिखाई दी। सबसे बड़ी बात गोरखपुर में आई बारिश की वजह ड्रेनेज सिस्टम की कलई खुल गई।
अखिलेश यादव ने कसा तंज
अखिलेश यादव ने अपने X हैंडल पर लिखा… हम उस न्यूज़ चैनल को याद दिलाना चाहते हैं जिनके कार्यक्रम में कुछ दिनों पहले ही हमने कहा था कि बहुत जल्दी आप गोरखपुर में हमारा ‘फ़्लोटिंग इंटरव्यू’ आयोजित करियेगा। पहली बारिश के बाद ही ये अवसर सामने आ गया है अगर उनकी नाव तैयार हो तो वो हमें सूचित करें, हम अपना वादा निभाने को लिए वचनबद्ध हैं। माननीय मुख्यमंत्री जी के अपने वार्ड के आसपास के वार्डों का भी हाल जब बेहाल है तो बाक़ी गोरखपुर का क्या हाल होगा। कहने की ज़रूरत नहीं।
तूफान इतना प्रचंड क्यों था?
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, यह तूफान ‘डस्ट स्टॉर्म’ और ‘थंडरस्टॉर्म’ का संयुक्त रूप था, जिसे स्थानीय भाषा में आंधी-तूफान कहा जाता है। मौसम वैज्ञानिक डॉ. ए.के. मिश्रा के मुताबिक: - अत्यधिक गर्मी के कारण धरातल पर कम दाब का क्षेत्र बन गया था।
- पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) और बंगाल की खाड़ी से नमी का मिलन इस तूफान की तीव्रता बढ़ाने में जिम्मेदार रहा।
- लगातार बढ़ते तापमान और जलवायु परिवर्तन से भी इन घटनाओं की तीव्रता अब पहले से ज्यादा हो रही है।
तूफान के प्रभाव: जानमाल का बड़ा नुकसान
सबसे अधिक मौतें बाराबंकी, उन्नाव, हरदोई, लखनऊ, रायबरेली और सुलतानपुर जिलों में दर्ज की गईं। कई मकान और कच्चे घर ढह गए। खेतों में लगे फसल और आम के बागों को भी नुकसान हुआ। रात भर बिजली आपूर्ति बाधित रही। कई इलाकों में मोबाइल नेटवर्क भी ठप रहा।
सीएम ने दिए आदेश
मुख्यमंत्री ने निर्देशित किया कि अधिकारीगण सर्वे कराकर फसल नुकसान का आकलन करते हुए आख्या शासन को भेजें, ताकि इस सम्बन्ध में अग्रेत्तर कार्यवाही की जा सके। उन्होंने निर्देशित किया कि जलजमाव की स्थिति होने पर प्राथमिकता पर जल निकासी की व्यवस्था कराई जाए। सीएम ने यह भी निर्देश दिया कि तूफान से हुए जान माल की हानि का सर्वेक्षण कर अधिकारी जल्द से जल्द रिपोर्ट भेजें।
क्या मौसम विभाग ने दी थी चेतावनी?
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने बुधवार दोपहर को ही कई जिलों में पीली और नारंगी चेतावनी (Yellow & Orange Alert) जारी की थी।हालांकि, कई ग्रामीण इलाकों में यह चेतावनी लोगों तक समय पर नहीं पहुंच सकी। इसका एक कारण सूचना तंत्र की कमजोरी और डिजास्टर मैनेजमेंट सिस्टम की तैयारी में कमी भी माना जा रहा है।
आपदा प्रबंधन की तैयारी कितनी प्रभावी रही?
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) ने स्थानीय प्रशासन को अलर्ट रहने का निर्देश जरूर दिया था, लेकिन कई जिलों में रेस्क्यू टीम समय पर नहीं पहुंच सकीं। - बिजली विभागों की रिस्टोर टीम भी तूफान के बाद कई घंटे बाद हरकत में आई।
- ग्रामीण क्षेत्रों में राहत कार्य बेहद धीमा रहा।
क्या ऐसे तूफान अब सामान्य होते जा रहे हैं?
जलवायु परिवर्तन विशेषज्ञों का मानना है कि ग्लोबल वार्मिंग की वजह से उत्तर भारत में ऐसे तूफान पहले की तुलना में ज्यादा तीव्र और अनियमित हो गए हैं।IMD के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 10 वर्षों में उत्तर प्रदेश में अचानक आने वाले तूफानों और बिजली गिरने की घटनाएं दोगुनी हो गई हैं।
यह तूफान एक बार फिर साबित करता है कि हमें प्राकृतिक आपदाओं के प्रति अधिक सतर्क और वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाना होगा। चेतावनियों का ग्रामीण स्तर तक प्रसार, आपदा प्रबंधन तंत्र की तत्परता, और स्थानीय प्रशासन की जवाबदेही इस तरह की त्रासदी में जान बचा सकती है।
उत्तर प्रदेश में बुधवार की रात से बृहस्पतिवार सुबह तक के बीच लगभग पूरे प्रदेश में आंधी-बारिश ने तबाही मचाई। इस बीच पेड़ और दीवार गिरने से हुए हादसों में 51 लोगों की मौत हो गई। बिजली के पोल टूटने से आपूर्ति बाधित हुई। बुलंदशहर में 89 किमी प्रति घंटे तो मेरठ में 80 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से तूफानी हवाएं चलीं। आगरा, अलीगढ़ क्षेत्र के साथ प्रदेश के अन्य पूर्वी इलाकों में भी 50 से 80 किमी प्रति घंटे तक की रफ्तार से हवाएं चलीं। इससे कई इलाकों में टिन की छतें व छप्पर उड़ गए।