1996 से साफ नहीं हुई फायर लाइन
सुप्रीम कोर्ट गोधा वर्मन केस मामले में एक आदेश के चलते जंगल में एक हजार मीटर से ऊंचाई पर पेड़ काटने पर रोक लगाई थी। इसके चलते उत्तराखंड में 1996 से फायर लाइन के बीच उगे पेड़ों को भी नहीं हटाया जा सका है। आज ये पेड़ विशालकाय हो गए हैं, फायर लाइन पूरी तरह से जंगल में तब्दील हो गई है। जिससे जंगल की आग को फैलने से रोकना मुश्किल हो रहा है। इधर, फायर लाइन को लेकर 18 अप्रैल 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय को बदला है। प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) ने 18 अप्रैल 2023 के निर्णय का हवाला देते हुए 28 अक्तूबर को सभी डीएफओ को फायर लाइन को साफ करने के निर्देश दे दिए हैं। ये भी पढ़ें-
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फायर लाइन में 1996 से उग चुके पांच लाख पेड़ों को काटने की तैयारी चल रही है। उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में 1.50 लाख पेड़ काटे जाएंगे। वहीं दूसरी ओर गढ़वाल मंडल में 3.50 लाख पेड़ों पर आरी चलाई जाएगी। बाद वन अधिकारियों ने फायर लाइन में उगे पेड़ों का छपान शुरू कर दिया है। अधिकारियों के मुताबिक प्रमुख वन संरक्षक कार्यालय से फायर लाइन को साफ करने के निर्देश मिले हैं।