क्या UP में खाद का संकट? सरकार के पास पर्याप्त भंडार तो फिर क्यों भटक रहे हैं किसान, जानें कारण
उत्तर प्रदेश में खाद का संकट धान की बुआई से पहले गहराता नजर आ रहा है. जानिए, सरकार के पास पर्याप्त भंडार होने के बाद भी आखिर किसान क्यों भटकने को मजबूर हैं.
धान की बुआई से पहले उत्तर प्रदेश में खाद का संकट गहराता जा रहा है। सरकार कह रही है की उसके पास पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध है लेकिन हकीकत यह है कि किसान परेशान हैं। तमाम प्रयास के बाद भी उनकी खाद की जरूरतें पूरी नहीं हो रही हैं।
उत्तर प्रदेश में धान सहित तमाम फसलों की बुआई का सीजन शुरू हो चुका है लेकिन उत्तर प्रदेश में खाद की कमी से किसानों के सामने संकट आ खड़ा हुआ है। किसानों के संगठन ने इस बारे में सरकार से मदद की गुहार भी लगाई है और कहा है कि जल्द ही उर्वरकों की सप्लाई पूरी की जाए, ताकि किसान समय पर बुआई कर सकें और किसी संकट से बाहर निकला जा सके। ज्यादातर किसान यूरिया और डीएपी की मांग कर रहे हैं। किसानों की पहली प्राथमिकता सहकारी समितियां हैं, जहां पर खाद नहीं मिल पा रही है।
खाद के साथ मैग्नीशियम लेने की मजबूरी
सहकारी समितियों में लम्बी लाइनों में लगने के बाद भी खाद नहीं मिल रहा है ऐसे में निजी दुकानदारों से खाद लेना किसानों की मजबूरी बन गया है। लेकिन दुकानदार खाद के साथ ही मैग्नीशियम और जिंक लेने को मजबूर कर रहे हैं।लखीमपुर खीरी के किसान सतपाल चौधरी ने बताया कि उन्हें दो बोरी डीएपी की खरीद पर मैग्नीशियम और जिंक का भी पैकेट दिया गया । बिना मैग्नीशियम और जिंक के खाद देने से मना कर दिया गया।
भरपूर उर्वरक उपलब्ध, भंडारण न करें: शाही
कृषि विभाग के अनुसार प्रदेश में 11 जुलाई को सहकारी गोदामों में 1.14 लाख मीट्रिक टन, विभिन्न जिलों के गोदामों में 1.92 लाख मीट्रिक टन और निजी क्षेत्र के गोदाम में 1.14 लाख मीट्रिक टन यूरिया उपलब्ध है। लेकिन कुछ लोग कालाबाजारी के लिए जरूरत से ज्यादा यूरिया और डीएपी खरीद रहे हैं जिससे कुछ स्थानों पर दिक्कत आ रही है। कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने दावा किया है कि प्रदेश में खाद भरपूर मात्रा में उपलब्ध है। उन्होंने किसानों से अपील की है कि खाद का भंडारण न करें। जितनी जरूरत हो, उतना ही खाद खरीदें। उर्वरक के वितरण में असामाजिक तत्वों द्वारा कालाबाजारी, जमाखोरी, ओवररेटिंग, टैगिंग आदि की कोशिश की जा रही है, जिस पर लगातार कार्रवाई हो रही है।
आखिर क्यों हो रही है उर्वरक की कमी
भारत डीएपी और अन्य उर्वरकों के लिए आयात पर बहुत अधिक निर्भर है, और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधानों के कारण आयात में देरी या कमी हो रही है
चीन ने अपने घरेलू उपयोग के लिए डीएपी के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिससे भारत जैसे देशों में इसकी उपलब्धता कम हो गई है
कुछ क्षेत्रों में, खाद की कमी का फायदा उठाकर कालाबाजारी की जा रही है, जिससे किसानों को अधिक कीमतों पर खाद खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है
देश में खाद की कमी एक गंभीर समस्या है, जिसके कई कारण हैं। सरकार को इस समस्या से निपटने के लिए तत्काल और प्रभावी उपाय करने की आवश्यकता है ताकि किसानों को राहत मिल सके और देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
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