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कमिश्नर रौशन जैकब की इस कार्रवाई के बाद ज़ोनल अधिकारी और अवर अभियंता (जेई) को निलंबित करने की संस्तुति की गई थी। एलडीए की इस कार्रवाई से साफ संकेत गया है कि राजधानी में अवैध प्लॉटिंग को किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
अवैध प्लाटिंग का खुलासा
एलडीए के प्रवर्तन जोन-2 के जोनल अधिकारी शशि भूषण पाठक ने बताया कि मौरावा रोड, भसंडा, मोहनलालगंज में “स्पर्श सिटी” के नाम से अवैध रूप से कॉलोनी विकसित की जा रही थी। यह प्लाटिंग लगभग 40 बीघा क्षेत्र में फैली थी और इसे उमाकांत सिंह व अन्य द्वारा संचालित किया जा रहा था। पूर्व में भी इस साइट पर विकास कार्यों को ध्वस्त किया गया था, लेकिन इसके बावजूद दोबारा से भूखंड बेचने और सड़क, नाली जैसे निर्माण कार्य शुरू कर दिए गए थे। यह भी पढ़ें
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दूसरी साइट
“स्पर्श सिटी” से महज आधा किलोमीटर की दूरी पर सुनील कुमार चौबे, राकेश तिवारी व अन्य द्वारा लगभग 7 बीघा जमीन पर अवैध प्लाटिंग की जा रही थी। यहां पर भी बिना किसी अधिकृत ले-आउट के कॉलोनी बसाने की कोशिश की जा रही थी।तीसरी सबसे बड़ी प्लॉटिंग
सबसे बड़ी प्लॉटिंग “उपवन सिटी” के नाम से लगभग 50 बीघा ज़मीन पर हो रही थी, जिसे संस्कृति इंफ्रा कंपनी द्वारा संचालित किया जा रहा था। यह साइट रानीखेड़ा, डेहवा, मौरावा रोड, थाना मोहनलालगंज क्षेत्र में स्थित थी। इस कॉलोनी का संचालन लवकुश यादव पुत्र हरदेव लाल यादव कर रहे थे। यहां भी किसी प्रकार की वैधानिक स्वीकृति नहीं ली गई थी और सीधे भूखंडों की बिक्री की प्रक्रिया चलाई जा रही थी।कोर्ट के आदेश के बाद कार्रवाई
इन सभी मामलों में एलडीए द्वारा विहित न्यायालय से ध्वस्तीकरण का आदेश प्राप्त किया गया था। आदेशों के अनुपालन में शुक्रवार को प्रवर्तन टीम ने पुलिस बल की सहायता से इन सभी स्थलों पर कार्रवाई की। सड़कें, नालियां, बाउंड्री वॉल और अन्य निर्माण कार्यों को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया। यह भी पढ़ें
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प्रशासन की सख्ती और संदेश
कमिश्नर डॉ. रौशन जैकब ने निरीक्षण के दौरान स्पष्ट किया था कि अवैध प्लॉटिंग को लेकर कोई भी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि आम जनता की गाढ़ी कमाई से खरीदी गई जमीन को झूठे वादों के जरिये बेचना अपराध की श्रेणी में आता है। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि संबंधित अधिकारी यदि कार्रवाई में लापरवाही बरतते हैं तो उनके खिलाफ भी सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। यह भी पढ़ें