एलडीए को 10 फरवरी तक हाईकोर्ट में जवाब दाखिल करना है, लेकिन उससे पहले ही इस गड़बड़ी का खुलासा होने से हड़कंप मच गया है। अब जोनल अधिकारियों से लेकर फील्ड में काम करने वाले कर्मचारी तक फाइलों की तलाश में जुट गए हैं।
कैसे हुआ फाइलों का गबन?
सूत्रों के अनुसार जब अवैध अपार्टमेंटों पर कार्रवाई की योजना बनी, तब एलडीए ने हाईकोर्ट में जवाब देने के लिए सभी फाइलें खंगालनी शुरू कीं। इसी दौरान अधिकारियों को पता चला कि 28 में से 12 फाइलें गायब हैं। ये फाइलें अवैध अपार्टमेंट के निर्माण से जुड़े अहम दस्तावेज थीं, जिनमें निर्माण की मंजूरी, नक्शा स्वीकृति, बिल्डर की जानकारी, और कानूनी नोटिस जैसी जानकारियां दर्ज थीं।
हाईकोर्ट में जवाब देना चुनौती बना
एलडीए को 10 फरवरी तक हाईकोर्ट में जवाब दाखिल करना है, लेकिन फाइलें न मिलने से अब पूरा मामला पेचीदा हो गया है। एलडीए प्रशासन पर दबाव है कि जल्द से जल्द इन फाइलों को ढूंढा जाए। यदि ये फाइलें नहीं मिलीं तो कोर्ट में जवाब देना मुश्किल हो जाएगा, जिससे पूरी कार्रवाई प्रभावित हो सकती है। 26 इंजीनियरों पर गिर सकती है गाज
एलडीए की लापरवाही और भ्रष्टाचार को लेकर अब प्रशासन सख्त हो गया है। खबर है कि इस मामले में 26 इंजीनियरों पर कार्रवाई की तैयारी चल रही है। इनमें जोनल अधिकारी, सहायक अभियंता और अधिशासी अभियंता शामिल हैं। सूत्रों का कहना है कि यदि फाइलें नहीं मिलती हैं तो इन अधिकारियों पर सस्पेंशन और अन्य दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है।
एलडीए की कार्यशैली पर सवाल
इस पूरे मामले ने एलडीए की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह पहली बार नहीं है जब अवैध निर्माण से जुड़ी फाइलें गायब हुई हैं। पहले भी कई मामलों में फाइलों के गायब होने या उन्हें जानबूझकर छिपाने के आरोप लग चुके हैं। इस बार मामला हाईकोर्ट तक पहुंच चुका है, इसलिए प्रशासन हर हाल में फाइलों को खोजने की कोशिश कर रहा है। क्या बोले अधिकारी?
एलडीए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि,”फाइलों की तलाश जारी है। हमने सभी संबंधित अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि जल्द से जल्द इन दस्तावेजों को खोजा जाए। यदि लापरवाही साबित होती है, तो दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।” वहीं, इस मामले में बिल्डर्स और अपार्टमेंट खरीदारों की भी चिंता बढ़ गई है। जिन लोगों ने इन अवैध अपार्टमेंटों में फ्लैट खरीदा है, वे अब यह सोच रहे हैं कि उनका भविष्य क्या होगा।
क्या होगा आगे?
यदि 10 फरवरी तक फाइलें नहीं मिलती हैं, तो एलडीए के लिए कोर्ट में जवाब देना मुश्किल हो जाएगा। इससे कार्रवाई में देरी हो सकती है, जिससे बिल्डर्स को फायदा होगा। वहीं, यदि कोर्ट इस मामले में सख्त रुख अपनाता है, तो एलडीए के कई अधिकारियों पर गाज गिरना तय है। अब देखना यह है कि एलडीए इन गायब हुई फाइलों को खोज पाता है या फिर यह मामला भी अन्य घोटालों की तरह समय के साथ दबा दिया जाएगा।