FSDA टीम ने लिया भोजन और पानी का सैंपल
FSDA की टीम ने मौके से खड़ा गरम मसाला, सरसों का तेल, सोयाबीन तेल, दलिया, नूडल्स, चिकन मीट, अंडे, देसी घी, आटा और पनीर जैसे खाद्य पदार्थों के सैंपल लिए। इसके साथ ही जलकल विभाग द्वारा पानी की गुणवत्ता की भी जांच कराई जा रही है। आश्रय केंद्र में बच्चों को दी जाने वाली खाद्य सामग्री और पेयजल की गुणवत्ता को लेकर कई गंभीर सवाल उठे हैं।
90 से ज्यादा बच्चों की मेडिकल जांच, कई गंभीर बीमारियों का खुलासा
प्रशासन ने 90 से ज्यादा बच्चों की मेडिकल जांच कराई, जिसमें टीबी, हेपेटाइटिस, किडनी और आंतों की बीमारियों से ग्रसित बच्चे मिले हैं। डॉक्टरों का कहना है कि बच्चों को दूषित पानी और बासी भोजन दिया जा रहा था, जिससे उनकी सेहत पर बुरा असर पड़ा। डॉक्टरों की रिपोर्ट
- 9 बच्चों को गंभीर एनीमिया
- 2 बच्चों में किडनी रोग के लक्षण
- 4 बच्चों को सेप्सिस (खून में संक्रमण)
- 1 बच्चा स्किन डिजीज से पीड़ित
- 16 साल के एक बच्चे को टीबी, हेपेटाइटिस और एनीमिया एक साथ
- यह खुलासा बेहद गंभीर है और इस ओर संकेत करता है कि आश्रय केंद्र में रहने वाले बच्चों की सेहत को लेकर भारी लापरवाही बरती जा रही थी।
रसोई में बने खाने पर सवाल, जांच के लिए भेजे गए नमूने
बच्चों में एक साथ कई बीमारियां मिलने के बाद आश्रय केंद्र में बनने वाले भोजन को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। FSDA ने रसोई से दर्जनभर खाद्य पदार्थों के नमूने लिए हैं, जिनकी रिपोर्ट शनिवार शाम तक आने की संभावना है। विशेषज्ञों का मानना है कि दूषित भोजन ही बच्चों की बीमारियों की मुख्य वजह हो सकती है।
जिलाधिकारी विशाख जी ने दिए सख्त निर्देश
लखनऊ के डीएम विशाख जी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं। अपर जिलाधिकारी (नागरिक आपूर्ति) को इस मामले की गहन जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
डीएम के आदेश
- आश्रय केंद्र के सभी दस्तावेज और लाइसेंस की जांच की जाए
- भोजन और पानी की गुणवत्ता को लेकर विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाए
- बच्चों की सेहत की निगरानी के लिए मेडिकल टीम की तैनाती हो
- सेंटर की कार्यप्रणाली पर नजर रखने के लिए अधिकारी नियुक्त किए जाएं
सरकार और प्रशासन पर उठे सवाल
निर्वाण आश्रय केंद्र की लापरवाही सामने आने के बाद सरकार और प्रशासन पर भी सवाल उठने लगे हैं। सवाल यह है कि बेसहारा बच्चों के देखभाल की जिम्मेदारी सरकार की होती है, फिर इतनी बड़ी लापरवाही कैसे हुई? खबर यह भी है कि रिहैब सेंटर चलाने वालों ने 5 में से 1 मौत की जानकारी छिपाने की कोशिश की थी।
बच्चों की बीमारी कब से शुरू हुई
जांच में सामने आया है कि आश्रय केंद्र के बच्चे एक हफ्ते से ज्यादा समय से बीमार थे, लेकिन उनकी सेहत को लेकर समय पर उचित कदम नहीं उठाए गए। अब तीन अस्पतालों में 35 बच्चों का इलाज चल रहा है।
अस्पतालों में भर्ती बच्चों की स्थिति
- केजीएमयू: 15 बच्चे भर्ती
- सिविल अस्पताल: 10 बच्चे भर्ती
- लोकबंधु अस्पताल: 10 बच्चे भर्ती
- डॉक्टरों का कहना है कि यदि बच्चों का समय पर इलाज होता, तो उनकी हालत इतनी गंभीर नहीं होती।
सख्त कार्रवाई के आदेश, सेंटर पर लग सकता है ताला
जांच अधिकारियों की रिपोर्ट के आधार पर जल्द ही सेंटर पर कड़ी कार्रवाई की जा सकती है। संभावना है कि सेंटर का लाइसेंस निलंबित कर दिया जाए और संचालकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो।
निर्वाण आश्रय केंद्र में बच्चों की मौत और उनके स्वास्थ्य को लेकर बरती गई लापरवाही ने सरकारी तंत्र की पोल खोल दी है। बिना लाइसेंस चल रहे मेस, दूषित भोजन और खराब पेयजल की वजह से बच्चे गंभीर बीमारियों से ग्रसित हो गए हैं। प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी है, लेकिन सवाल यह है कि ऐसी घटनाएं कब तक दोहराई जाएंगी?