UP Tax Department: राज्य कर विभाग में काम का बोझ बढ़ा, संसाधनों की कमी से अधिकारी परेशान
State Tax Department: उत्तर प्रदेश राज्य कर विभाग के अधिकारी बढ़ते काम के बोझ और घटते संसाधनों से जूझ रहे हैं। पुरानी गाड़ियों से चेकिंग, लिपिकों की भारी कमी और अव्यावहारिक लक्ष्य अधिकारियों के लिए तनाव का कारण बन रहे हैं। सरकार से संसाधन बढ़ाने और व्यवहारिक कार्यप्रणाली अपनाने की मांग तेज हो रही है।
Tax Department Stress: उत्तर प्रदेश राज्य कर विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों पर काम का बोझ तेजी से बढ़ता जा रहा है। विभाग में कर्मचारियों की कमी और पुराने संसाधनों के चलते अधिकारियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बीते चार महीनों में स्थिति इतनी विकट हो चुकी है कि अधिकारी मानसिक तनाव में काम करने को मजबूर हैं।
विभागीय अधिकारियों ने हाल ही में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रमुख सचिव के सामने अपनी समस्याएं रखीं। अधिकारियों ने बताया कि उनका कार्यभार दिन-ब-दिन बढ़ रहा है, लेकिन संसाधन बढ़ाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, “हर दिन हमारे काम की समीक्षा की जाती है। कई बार तो सुबह कार्य सौंपा जाता है और शाम तक उसका परिणाम मांगा जाता है। अगर हमारे संसाधनों की व्यवस्था भी इतनी तेजी से की जाती, तो हमें कोई समस्या नहीं होती।”
लक्ष्य तय करने की जरूरत
अधिकारियों का कहना है कि वे कभी भी अपने कार्यों से पीछे नहीं हटे हैं, लेकिन समस्या उन कार्यों से है जिनकी समय सीमा अव्यावहारिक है। उनका सुझाव है कि सरकार को मौखिक आदेशों की समीक्षा किसी स्वतंत्र समिति से करवानी चाहिए ताकि यह स्पष्ट हो सके कि लक्ष्य पूरे नहीं हो रहे या दिए गए लक्ष्य ही अव्यावहारिक हैं।
राज्य कर विभाग की विशेष जांच टीम (SIB) और सचल दल में शामिल ज्यादातर वाहन अपनी सीमा पार कर चुके हैं। विभागीय सूत्रों के मुताबिक:
अधिकांश वाहन दो लाख किलोमीटर से अधिक चल चुके हैं।
सचल दल को 24 घंटे राजमार्गों पर चेकिंग करनी होती है, लेकिन पुराने वाहनों के कारण यह कठिन हो गया है।
ई-वेबिल स्कैनिंग, 50,000 रुपये से कम मूल्य के बिलों का संग्रहण, ऑनलाइन फीडिंग, जब्त किए गए वाहनों का भौतिक सत्यापन, नोटिस जारी करना, SIB की छापेमारी में सहयोग जैसी जिम्मेदारियां पूरी करना मुश्किल हो गया है।
लिपिकों की भारी कमी
विभाग में कर्मचारियों की भारी कमी देखी जा रही है। पदोन्नति के चलते अधिकांश लिपिक संवर्ग के कर्मचारी राज्य कर अधिकारी बन चुके हैं, जिससे तीन अधिकारियों के बीच केवल एक लिपिक कर्मचारी रह गया है। इस कारण प्रशासनिक कार्यों में देरी हो रही है।
लक्ष्य तय करते समय अधिकारियों के कार्य घंटे और संसाधनों का ध्यान रखा जाए।
संसाधनों की व्यवस्था के लिए तत्काल ठोस कदम उठाए जाएं।
जबरन कार्रवाई और निलंबन की धमकियों के बजाय व्यवहारिक समाधान निकाला जाए।
नई गाड़ियों की व्यवस्था की जाए ताकि सचल दल प्रभावी तरीके से कार्य कर सके।
लिपिकों की भर्ती जल्द से जल्द की जाए।
समाधान की दिशा में उठाए गए कदम
करीब दो महीने पहले कमिश्नर डॉ. नितिन बंसल से गाड़ियों की समस्या पर चर्चा हुई थी, जिसमें उन्होंने बताया था कि प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है। हालांकि, अभी तक इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
उत्तर प्रदेश राज्य कर विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों पर बढ़ते कार्यभार और घटते संसाधनों का असर साफ दिखाई दे रहा है। अगर सरकार जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान नहीं निकालती, तो अधिकारियों का मनोबल गिर सकता है और विभाग की कार्यक्षमता प्रभावित हो सकती है।
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